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श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान जी और श्री शांतिनाथ भगवान जैन मंदिर , देवनगरी कालंद्री , जिला - सिरोही , राजस्थान "

देवनगरी कालंद्री का यह मंदिर जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी का मंदिर है ।

श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी का मंदिर संवत 2010 मे श्रीमान रिकबचंद जी लाखाजी परिवार ने कालंद्री जैन संघ को भेट स्वरूप दिया था । हांलाकि उस समय मूलनायक श्री शांति नाथ जी भगवान थे ।

संवत 2040 मे श्री मुनिसुव्रत स्वामी की स्थापना की गयी और श्री शांतिनाथ भगवान को मंदिर मे उपर विराजमान किया ।

यहां मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी के अलावा भगवान महावीर स्वामी जी और सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ भगवान भी विराजमान है ।

श्री चौमुखा यक्षराज , श्री यक्षीजी व अचुता देवी जी की भी प्रतिमाएं हैं ।

मंदिर के उपर फर्स्ट फ्लोर मे बने मंदिर मे मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान है और साथ मे श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी , श्री शंभवनाथ भगवान , श्री पार्श्वनाथ भगवान , श्री आदेश्वर भगवान की भी भव्य प्रतिमाएं है ।

संवत 2040 बैसाख माह मे इस मंदिर मे श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी की स्थापना एक भव्य आयोजन के साथ हुई थी ।

जैसे देवालयों , जिनालयों , शिवालयों और मंदिरों के कारण सिरोही के साथ ' देवनगरी ' शब्द जुड़ा हुआ है वैसे ही कालंद्री में मंदिरों , देवालयों , जिनालयों , शिवालयों और देव संस्कृति के कारण कालंद्री के साथ भी ' देवनगरी ' शब्द जुड़ा हुआ है । देवनगरी कालंद्री में भी अनेकानेक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं और देव संस्कृति को मानने वाले लोग हैं । दूसरे मंदिरों की तरह यहां भी नियमित रूप से पूजा आरती होती है ।

कालंद्री - सिरोही के महान इतिहासकार और शिक्षाविद डॉक्टर श्री सोहनलाल पटनी साहब जिनकी जन्मभूमि कालंद्री थी , ने बताया कि कि अर्बुद प्रदेश जिसके अंतर्गत जालौर , पाली , सिरोही और बनासकांठा आता है , में भगवान महावीर स्वामी जी ने जीवित काल में 7 बार विहार किया था इसलिए यह भूमि अध्यात्म की दृष्टि से बहुत खास है ।

यहां जैन समाज के चार प्रमुख मंदिर है - 1.श्री भगवान महावीर स्वामी जी का 24 जिनालय जैन मंदिर । 2. श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी का जैन मंदिर । 3. श्री नमीनाथ भगवान जी का जैन मंदिर । 4. श्री माणिभद्र जी का नवनिर्मित जैन मंदिर ।

कालंद्री के श्री मोतीलाल जी जैन साहब ने बताया कि चार जैन मंदिरों के अलावा 2-3 धर्मशाला , 10 -12 उपासरा , आम्बिलखाता , भोजनशाला , कार्यालय और साधु साध्वियों के लिए रुकने ठहरने की उत्तम व्यवस्था है ।

 

 

 

श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान जी और श्री शांतिनाथ भगवान जैन मंदिर , देवनगरी कालंद्री , जिला - सिरोही , राजस्थान "

देवनगरी कालंद्री का यह मंदिर जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी का मंदिर है ।

श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी का मंदिर संवत 2010 मे श्रीमान रिकबचंद जी लाखाजी परिवार ने कालंद्री जैन संघ को भेट स्वरूप दिया था । हांलाकि उस समय मूलनायक श्री शांति नाथ जी भगवान थे ।

संवत 2040 मे श्री मुनिसुव्रत स्वामी की स्थापना की गयी और श्री शांतिनाथ भगवान को मंदिर मे उपर विराजमान किया ।

यहां मूलनायक श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी के अलावा भगवान महावीर स्वामी जी और सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ भगवान भी विराजमान है ।

श्री चौमुखा यक्षराज , श्री यक्षीजी व अचुता देवी जी की भी प्रतिमाएं हैं ।

मंदिर के उपर फर्स्ट फ्लोर मे बने मंदिर मे मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान है और साथ मे श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी , श्री शंभवनाथ भगवान , श्री पार्श्वनाथ भगवान , श्री आदेश्वर भगवान की भी भव्य प्रतिमाएं है ।

संवत 2040 बैसाख माह मे इस मंदिर मे श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी की स्थापना एक भव्य आयोजन के साथ हुई थी ।

जैसे देवालयों , जिनालयों , शिवालयों और मंदिरों के कारण सिरोही के साथ ' देवनगरी ' शब्द जुड़ा हुआ है वैसे ही कालंद्री में मंदिरों , देवालयों , जिनालयों , शिवालयों और देव संस्कृति के कारण कालंद्री के साथ भी ' देवनगरी ' शब्द जुड़ा हुआ है । देवनगरी कालंद्री में भी अनेकानेक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं और देव संस्कृति को मानने वाले लोग हैं । दूसरे मंदिरों की तरह यहां भी नियमित रूप से पूजा आरती होती है ।

कालंद्री - सिरोही के महान इतिहासकार और शिक्षाविद डॉक्टर श्री सोहनलाल पटनी साहब जिनकी जन्मभूमि कालंद्री थी , ने बताया कि कि अर्बुद प्रदेश जिसके अंतर्गत जालौर , पाली , सिरोही और बनासकांठा आता है , में भगवान महावीर स्वामी जी ने जीवित काल में 7 बार विहार किया था इसलिए यह भूमि अध्यात्म की दृष्टि से बहुत खास है ।

यहां जैन समाज के चार प्रमुख मंदिर है - 1.श्री भगवान महावीर स्वामी जी का 24 जिनालय जैन मंदिर । 2. श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी का जैन मंदिर । 3. श्री नमीनाथ भगवान जी का जैन मंदिर । 4. श्री माणिभद्र जी का नवनिर्मित जैन मंदिर ।

कालंद्री के श्री मोतीलाल जी जैन साहब ने बताया कि चार जैन मंदिरों के अलावा 2-3 धर्मशाला , 10 -12 उपासरा , आम्बिलखाता , भोजनशाला , कार्यालय और साधु साध्वियों के लिए रुकने ठहरने की उत्तम व्यवस्था है ।

 

 


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