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देव दर्शन की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये जैन भवन स्कीम नं. 10 अलवर में एक जिन मंदिर की स्थापना करने की भावना श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल समाज के बीच रखी गई। उस समय अग्रवाल जैन समाज के तत्कालीन अध्यक्ष लाला उग्रसेन जी जैन, उपाध्यक्ष श्री खिल्लीमल जी, मंत्री श्री बच्चूसिंह थे और उनके कार्य काल में अक्षय तृतीया के दिन अस्थाई रूप में अष्ट धातु से निर्मित भगवान श्री पार्श्वनाथ की फन वाली 9 इंची प्रतिमा, जो संवत् 1522 की है, को छोटे हाल (जो कि श्री रतनलाल जो जैन, फैन्सी क्लॉथ वालों के द्वारा निर्मित है) को विराजमान किया गया।

आगामी 5 वर्ष तक पूजन प्रक्षाल एवं अन्य मूलनायक १००८ श्री पार्श्वनाथ भगवान व्यवस्थाओं के लिये समाज के श्री शिखर चन्द जी जैन, सोरखा वालों के द्वारा जिम्मेदारी ली गई क्योंकि सन् 1989 से 1995 एक जीन भवन के नजदीक समाज बहुत कम थी। श्री जगदीश जी जैन अगोन वालों के साथ मिलनव्यवस्थाएं अच्छे से की गई। अग्रवाल पंचायती मंदिर में वर्ष 1992-93 इन्द्रध्वज विधानपति विमल कुमार जी सौरयां के विधानाचार्यत्व में चल रहा था। उस समय जैन भवन में हॉल में 24 तीर्थंकरों के जिन बिम्ब विराजमान करते हुए मंदिर निर्माण की योजना बनी जिसमें मुख्य वेदी के दाता श्री रामबाबू जी जैन सुपुत्र स्व. श्री प्रभाती लाल जैन, ने 51000/- रूपये की राशि भेंट की एवं मुख्य वेदी में पार्श्वनाथ की प्रतिमा श्री नेमीचन्द सुल्तान सिंह जैन परिवार ने विराजमान कराने का संकल्प किया एवं सभी 24 वेदी, मूर्तियों के दातारों ने अपने नाम दे दिये तथा उस योजना के अनुसार ऊपर के हॉल में वेदियों व शिखर बनाने के लिये निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया तथा बड़े हॉल के दक्षिण में 2 सीढ़ियों का निर्माण किया गया व अर्द्ध गोलाकार वेदी बनाने के लिये वेदी शिलान्यास पूर्ण विधि विधान से कराये जाने का निर्णय हुआ। समय बीतता गया, मंदिर कमेटी का पदभार हर 2 वर्ष में होता है जिसके चलते वर्ष 1991 की श्री महावीर जयन्ती जैन भवन में प्रथम बार मनाई गई। इससे पूर्व महावीर जयन्ती महोत्सव नसिया जी में मनाया जाता था। वर्ष 1999 का चातुर्मास आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुधासागर जी, क्षुल्लक श्री गम्भीर सागर जी, क्षुल्लक श्री धैर्य सागर जी, ब्रह. संजय भैया का सकल जैन समाज के पूर्ण सहयोग से बड़े ही उत्साह से हुआ। चातुर्मास के मध्य अगस्त के प्रथम सप्ताह में मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने ऊपर की मंजिल के हॉल में मंदिर निर्माण में वास्तुदोष बताया व नीचे की मंजिल में दक्षिण- पश्चिम में मंदिर निर्माण का सुझाव दिया जिस पर दिनांक 04.08.1999 को जैन भवन में अग्रवाल दिगम्बर जैन समाज की साधारण सभा आयोजित हुई एवं सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पूर्व निश्चित शिलान्यास कर्ता, वेदी, मूर्ति प्रदाता वे ही व्यक्ति रहेंगे जिनके नाम पूर्व में तय हो चुके हैं।

परमपूज्य मुनि श्री सुधासागर जी ससंघ के पावन सानिध्य में दिनांक 17.08.1999 को श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चौबीसी मंदिर का भव्य शिलान्यास बड़े धूमधाम से हुआ जिसमें सकल जैन समाज द्वारा 250/- रूपये प्रति ईंट के हिसाब ईंट लगाई गई व स्वर्ण, रजत एवं कांस्य ईंट, स्वास्तिक, पंच रत्न आदि सामग्री शिलान्यास में समर्पित की गई। इस मन्दिर का निर्माण श्री नरेशचन्द जैन मंत्री श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर ने खड़े होकर अपनी देखरेख में कराया एवं मन्दिर निर्माण में श्री मंगतूराम ताराचन्द नरेशचन्द जैन जयन्ती परिवार का विशिष्ठ योगदान रहा।

मंदिर जी की पंचकल्याण प्रति वर्ष 2003 में 10 फरवरी से 19 फरवरी तक पंचकल्याणक भी परमपूज्य मुनि श्री सुधासागर जी संघ के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रहमचारी प्रदीप भैया जी के सानिध्य में संगीतकार श्री राम कुमार एवं पार्टी के मधुर संगीत से निर्विघ्न सम्पन हुई। यह पंच कल्याणक महोत्सव श्री नरेश चन्द जैन (जयन्ती परिवार) जो कि तत्कालीन अग्रवाल जैन समाज के अध्यक्ष थे, श्री वीरेन्द्र कुमार जैन अध्यक्ष व श्री महावीर प्रसाद जैन मंत्री रावल अशोक जी जैन कोषाध्यक्ष पंच कल्याणक महोत्सव समिति के संयोजन में सम्पन्न हुआ। इस पंच कल्याणक महोत्सव में समाज के सभी महानुभावों ने तन, मन, धन से अपना पूरा योगदान दिया और समाज की सभी संस्थाओं ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई।

इस अभूतपूर्व पंचकल्याण का शुभारम्भ अलवर में पहली बार अनुठे झण्डारोहण कार्यक्रम से हुई जिसमें सभी समाजों के, मण्डलों के महिला मण्डलों के द्वारा मार्च पास्ट करते हुए जैन भवन से विभिन्न रंगों के ध्वज एवं वेशभूषा से प्रस्थान कर जेल के मैदान में शोभा यात्रा पहुँची और मुनिश्री के ससंघ के सानिध्य में भव्य ध्वजा रोहण किया गया। इसके उपरान्त श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल पुचायती मन्दिर बलजी राठौड की गली से भव्य रथ यात्रा व घट यात्रा जिसमें करीब पाँच सौ महिलाएँ कलश लेकर चल रही थी। रथ यात्रा में बीस झाँकिया, मन्दिर का लवाजमा लोक नृत्यक, अलवर व मेरठ की बैण्ड व शहनाईयाँ, भजन मंडलियाँ शामिल थी, यह विभिन्न बाजारों से होती हुई अयोध्या नगरी जेल परिसर पहुँची।

13 फरवरी को जन्मकल्याण का विशाल जुलूस बैण्ड बाजों व झांकियों, हाथियों के साथ भ्रमण करता हुआ पाण्डुक शिला पहुँचा वहाँ 1008 कलशों से बालक आदिनाथ का जन्माभिषेक कलश हुए। इस आयोजन में भारत के प्रसिद्ध कलाकारों शैलेन्द्र अजंली ग्रुप द्वारा नृत्य नाटिका, राजेन्द्र जै कोलकाता, बन्दना वाजपेयी व नितिन सचदेवा, मुम्बई द्वारा जैन भजनों की प्रस्तुति दी गई। महाराज श्री के द्वारा प्रतिदिन प्रवचन भगवान को दीक्षा, आहार चर्या, समोशरण में केवल ज्ञान। दिनांक 19 फवरी को मोक्ष कल्याण हुआ एवं मन्दिर जी में सभी प्रतिमाओं को विराजमान कराया व शिखर पर कलशारोहण कराया। इस कार्यक्रम में जैन-जेनेत्तर श्रद्धालु जनों ने देश के विभिन्न स्थानों से पधारकर धर्मलाभ प्राप्त किया।

 

 

 

देव दर्शन की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये जैन भवन स्कीम नं. 10 अलवर में एक जिन मंदिर की स्थापना करने की भावना श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल समाज के बीच रखी गई। उस समय अग्रवाल जैन समाज के तत्कालीन अध्यक्ष लाला उग्रसेन जी जैन, उपाध्यक्ष श्री खिल्लीमल जी, मंत्री श्री बच्चूसिंह थे और उनके कार्य काल में अक्षय तृतीया के दिन अस्थाई रूप में अष्ट धातु से निर्मित भगवान श्री पार्श्वनाथ की फन वाली 9 इंची प्रतिमा, जो संवत् 1522 की है, को छोटे हाल (जो कि श्री रतनलाल जो जैन, फैन्सी क्लॉथ वालों के द्वारा निर्मित है) को विराजमान किया गया।

आगामी 5 वर्ष तक पूजन प्रक्षाल एवं अन्य मूलनायक १००८ श्री पार्श्वनाथ भगवान व्यवस्थाओं के लिये समाज के श्री शिखर चन्द जी जैन, सोरखा वालों के द्वारा जिम्मेदारी ली गई क्योंकि सन् 1989 से 1995 एक जीन भवन के नजदीक समाज बहुत कम थी। श्री जगदीश जी जैन अगोन वालों के साथ मिलनव्यवस्थाएं अच्छे से की गई। अग्रवाल पंचायती मंदिर में वर्ष 1992-93 इन्द्रध्वज विधानपति विमल कुमार जी सौरयां के विधानाचार्यत्व में चल रहा था। उस समय जैन भवन में हॉल में 24 तीर्थंकरों के जिन बिम्ब विराजमान करते हुए मंदिर निर्माण की योजना बनी जिसमें मुख्य वेदी के दाता श्री रामबाबू जी जैन सुपुत्र स्व. श्री प्रभाती लाल जैन, ने 51000/- रूपये की राशि भेंट की एवं मुख्य वेदी में पार्श्वनाथ की प्रतिमा श्री नेमीचन्द सुल्तान सिंह जैन परिवार ने विराजमान कराने का संकल्प किया एवं सभी 24 वेदी, मूर्तियों के दातारों ने अपने नाम दे दिये तथा उस योजना के अनुसार ऊपर के हॉल में वेदियों व शिखर बनाने के लिये निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया तथा बड़े हॉल के दक्षिण में 2 सीढ़ियों का निर्माण किया गया व अर्द्ध गोलाकार वेदी बनाने के लिये वेदी शिलान्यास पूर्ण विधि विधान से कराये जाने का निर्णय हुआ। समय बीतता गया, मंदिर कमेटी का पदभार हर 2 वर्ष में होता है जिसके चलते वर्ष 1991 की श्री महावीर जयन्ती जैन भवन में प्रथम बार मनाई गई। इससे पूर्व महावीर जयन्ती महोत्सव नसिया जी में मनाया जाता था। वर्ष 1999 का चातुर्मास आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुधासागर जी, क्षुल्लक श्री गम्भीर सागर जी, क्षुल्लक श्री धैर्य सागर जी, ब्रह. संजय भैया का सकल जैन समाज के पूर्ण सहयोग से बड़े ही उत्साह से हुआ। चातुर्मास के मध्य अगस्त के प्रथम सप्ताह में मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने ऊपर की मंजिल के हॉल में मंदिर निर्माण में वास्तुदोष बताया व नीचे की मंजिल में दक्षिण- पश्चिम में मंदिर निर्माण का सुझाव दिया जिस पर दिनांक 04.08.1999 को जैन भवन में अग्रवाल दिगम्बर जैन समाज की साधारण सभा आयोजित हुई एवं सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पूर्व निश्चित शिलान्यास कर्ता, वेदी, मूर्ति प्रदाता वे ही व्यक्ति रहेंगे जिनके नाम पूर्व में तय हो चुके हैं।

परमपूज्य मुनि श्री सुधासागर जी ससंघ के पावन सानिध्य में दिनांक 17.08.1999 को श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चौबीसी मंदिर का भव्य शिलान्यास बड़े धूमधाम से हुआ जिसमें सकल जैन समाज द्वारा 250/- रूपये प्रति ईंट के हिसाब ईंट लगाई गई व स्वर्ण, रजत एवं कांस्य ईंट, स्वास्तिक, पंच रत्न आदि सामग्री शिलान्यास में समर्पित की गई। इस मन्दिर का निर्माण श्री नरेशचन्द जैन मंत्री श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल पंचायती मन्दिर ने खड़े होकर अपनी देखरेख में कराया एवं मन्दिर निर्माण में श्री मंगतूराम ताराचन्द नरेशचन्द जैन जयन्ती परिवार का विशिष्ठ योगदान रहा।

मंदिर जी की पंचकल्याण प्रति वर्ष 2003 में 10 फरवरी से 19 फरवरी तक पंचकल्याणक भी परमपूज्य मुनि श्री सुधासागर जी संघ के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रहमचारी प्रदीप भैया जी के सानिध्य में संगीतकार श्री राम कुमार एवं पार्टी के मधुर संगीत से निर्विघ्न सम्पन हुई। यह पंच कल्याणक महोत्सव श्री नरेश चन्द जैन (जयन्ती परिवार) जो कि तत्कालीन अग्रवाल जैन समाज के अध्यक्ष थे, श्री वीरेन्द्र कुमार जैन अध्यक्ष व श्री महावीर प्रसाद जैन मंत्री रावल अशोक जी जैन कोषाध्यक्ष पंच कल्याणक महोत्सव समिति के संयोजन में सम्पन्न हुआ। इस पंच कल्याणक महोत्सव में समाज के सभी महानुभावों ने तन, मन, धन से अपना पूरा योगदान दिया और समाज की सभी संस्थाओं ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई।

इस अभूतपूर्व पंचकल्याण का शुभारम्भ अलवर में पहली बार अनुठे झण्डारोहण कार्यक्रम से हुई जिसमें सभी समाजों के, मण्डलों के महिला मण्डलों के द्वारा मार्च पास्ट करते हुए जैन भवन से विभिन्न रंगों के ध्वज एवं वेशभूषा से प्रस्थान कर जेल के मैदान में शोभा यात्रा पहुँची और मुनिश्री के ससंघ के सानिध्य में भव्य ध्वजा रोहण किया गया। इसके उपरान्त श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल पुचायती मन्दिर बलजी राठौड की गली से भव्य रथ यात्रा व घट यात्रा जिसमें करीब पाँच सौ महिलाएँ कलश लेकर चल रही थी। रथ यात्रा में बीस झाँकिया, मन्दिर का लवाजमा लोक नृत्यक, अलवर व मेरठ की बैण्ड व शहनाईयाँ, भजन मंडलियाँ शामिल थी, यह विभिन्न बाजारों से होती हुई अयोध्या नगरी जेल परिसर पहुँची।

13 फरवरी को जन्मकल्याण का विशाल जुलूस बैण्ड बाजों व झांकियों, हाथियों के साथ भ्रमण करता हुआ पाण्डुक शिला पहुँचा वहाँ 1008 कलशों से बालक आदिनाथ का जन्माभिषेक कलश हुए। इस आयोजन में भारत के प्रसिद्ध कलाकारों शैलेन्द्र अजंली ग्रुप द्वारा नृत्य नाटिका, राजेन्द्र जै कोलकाता, बन्दना वाजपेयी व नितिन सचदेवा, मुम्बई द्वारा जैन भजनों की प्रस्तुति दी गई। महाराज श्री के द्वारा प्रतिदिन प्रवचन भगवान को दीक्षा, आहार चर्या, समोशरण में केवल ज्ञान। दिनांक 19 फवरी को मोक्ष कल्याण हुआ एवं मन्दिर जी में सभी प्रतिमाओं को विराजमान कराया व शिखर पर कलशारोहण कराया। इस कार्यक्रम में जैन-जेनेत्तर श्रद्धालु जनों ने देश के विभिन्न स्थानों से पधारकर धर्मलाभ प्राप्त किया।

 

 

 


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