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Shri Dhyanodya Tirth Kshetra

विहार अपडेट

ध्यानोदय तीर्थ उदयपुर मगल प्रवेश सांय 6बजे  5मई 2023

बडते कदम उदयपुर की ओर 

परम पूज्य अभीक्षण ज्ञानोपयोगी

 वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य मुनि श्री सर्वानंद जी मुनि श्री जिनानंद जी मुनि श्री पुण्यानंद जी महाराज ससआज शाम 5: बजे राजेन्द्र शान्ति विहार धाम से विहार होगा *ध्योनदय तीर्थ बलीचा मे नाईट होल्ड रहेगा* 6.15तक़ मंगल आगमन होगा सभी साय कालीन आरती मे पधारे ।

संभावित उदयपुर शहर प्रवेश 6-5-2023 को प्रातःकालीन बेला मे होगा ।

 


Shri Dhyanodya Tirth Kshetra

अक्षय तृतीया पर्व

ध्यानोदय तीर्थ बालीचा उदयपुर मे आज हुआ गन्ने 108 कलश के रस का अभिषेक और गुरु माँ के पंच अमृत से पाद प्रक्षालन -आज अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आज प्रातः 7बजे ध्यानोदय तीरथ पर शुद्ध ताज़ा गन्ने के रस का 108 चांदी के कलश मे हुआ भव्य अभिषेक इन्द बन कर प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक श्री मति नेहा कोड़िआ ने और उसके बाद कर्म से चांदी के 108कलश से 108 महिलाओ दवरा किया गया अभिषेक!आज इस विशेष दिन और था गुरु के जैन परम्परा के आर्यिका के सेर्वोच्च पद का आरोहन दिवस उस पर सभी सोचने लगे की यह पुण्य तो मे ही लुगा पर इस पुण्य का लाभ मिला श्री मति सुनीता राजकुमार जी धन्नावत को 45000हजार न्योछावर मे आगे प्रभु पर महा शांति धारा का न्योछावर 15111मे श्री मति विमला महावीर जी प्रीती अनमोल टिमरवा तो मुलनायक पर श्री मति मोनिका सुनील जी गोदावतने लाभ लिया!ऐसा प्रतीत हो रहा था हर इंद्र चाहता की मे यह पुण्य अनुबंध का मौका ना रह जाय!सभी को गुरु माँ ने आशीर्वाद देते हुए कहा आज का पर्व ऐसा है इस दिन किसी या तीर्थ साधु सेवा मे जौ दान निकाल कर पुण्य अर्जन करता है उसका कभी धन क्षय नही होता बस बिश्वास से आस्था से पुण्य बंध हो जाता है हमारे गुरु ने आज से 16वर्ष पूर्ब हमें इस मार्ग मे जौ आर्यिका का सेर्वोच्च पद है प्रदान कर धर्म मार्ग मे और आगे बढने को प्रेरित किया और हुम् आज आप सब को मार्ग मे जोड़ने का प्रयास कर रहे है और आप पुण्य प्राप्त कर रहे यह सबसे बड़ा हमारा पुण्य है की आप किसी ऐसे मार्ग मे नही गए जहाँ पाप का बंध होता!आओ आप और हुम् सब मिल कर प्रभु की भक्ती आराधना करे और अपने अच्छे कर्म का बंध कर मोक्ष मार्ग को कर प्राप्त कर सको!


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गुरू चरणो का महत्व

आज उदयपुर नगरी धन्य हुई जहाँ राष्ट्र संत उपसर्ग विजेता गुरु माँ गणिनि आर्यिका 105 श्री सुप्रकाश मति सासंग आचार्य रत्न 108श्री वर्धमान सागर जी महाराज के चरणों की पूजा करते हुए कैसे अपने गुरु का महत्व होता है महत्वपूर्ण पल का साक्षी बना उदयपुर का सबसे पुरानाचंद्र प्रभु आयड जैन मंदिर!आचार्य श्री की नगर अगवानी करते हुई ठोकर चौराहा पर गुरु माँ ने प्रथम तीन परिक्रमा कर वंदन अभिनन्दन पुरे संघ का किया और शोभा यात्रा मे पूर्ण शिरकत की!ऐसा आभास हुआ जैसे चतुर्थ काल मे गुरु वंदना होती थी वैसा सभी श्रावक नत मस्तक हो भाव विभोर थे धन्य वो गुरु और धन्य है वह शिष्य और धन्य है जिन धर्म जौ यह सिखाता है कैसे विनयशील हुआ जाता है आज का दृश्य स्वर्णिम अक्षरों मे कैद हुआ जहाँ गुरु वर्तमान के वर्धमान का आगमन हुआ!इति शुभम सभी अवश्य शेयर कर गुरु वंदन पुण्य प्राप्त करे साथ एक तरफ तो गुरु माँ अपने गुरु परम्परा के गुरु की अगवानी Suprakashmati Mataji कर रहे हो वही गुरु माँ की प्रेरना से निर्मित तीर्थ पर आचार्य 108 नयन सांगर जी गुरु का मंगल प्रवेश हुआ ।