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गौतम गणधर की निर्वाण स्थली श्री गुणावां जी सिद्ध क्षेत्र प्राचीन काल से सुग्गावन के लिए प्रसिद्ध है । यहाँ के गेट, मानस्तंभ के चारो कोणों पर , मन्दिर की दीवार आदि पर हरे सुग्गो (तोतों) का चित्र बना हुआ है और आश्चर्यजनक रूप से इस प्रियदर्शी पक्षी के निवास के लिये मन्दिर के गुम्बज में भी निर्माणकर्ताओं द्वारा सुग्गो को रहने का स्थल बनाया गया है । अनेक वर्षो से प्रतिदिन क्षेत्र पर सुग्गो को दाने खिलाने की व्यवस्था है जो यात्रियों के सहयोग से ठीक चलती है ।

भगवान महावीर के प्रथम गणधर गौतम स्वामी की निर्वाण भूमि गुणशील चैत्य (वर्तमान गुणावां जी) में कई प्रकार के अतिशय दृष्टिगोचर होते है । मन्दिर के निर्माण काल से ही यहाँ पर सुग्गो की प्रधानता रही है । जैन शास्त्रों में वर्णन है कि तोता चढ़ महा शुक्र सुरपति फूलों की माला को लाते है (प्रकरण तिल्लोयपर्ण्णात पृष्ठ 540-42) अर्थात् इस लोकाकाश में स्थित नन्दीश्वर दीप में विराजमान आकृत्रिम चैत्यालय दर्शन, पूजन हेतु महाशुक्र नामक इन्द्र तोते पर चढ़कर भगवान को माला अर्पण करने यहाँ आते थे और इसके साथ तोते भी भगवान के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य करते थे । तोते के आहार हेतु क्षेत्र पर सुग्गादान कोष स्थापित है जिसमें दान देकर आप पुण्य लें ।

धर्मशाला :- यहाँ जैन यात्रिओं के ठहरने के लिए एक धर्मशाला है । जिसमें 5 साधारण कमरे, 1 डबल अटैच्य कमरे का फ्लैट, एक बड़ा हॉल एवं 1 (एक) एयर कंडीशन कमरे है । इनमें पानी बिजली, आदि सभी प्रकार की सुविधाएँ है । धर्मशाला के प्रांगण में दायीं ओर एक बहुत ही सुन्दर मानस्तंभ हैं । इस धर्मशाला में एक कुआं भी है जिसका उपयोग मन्दिर जी एवं पीने हेतु उपयोग में लाया जाता है । मन्दिर जी के चारो तरफ सुन्दर बगीचे लगे हुए है, जिसमें अनेकों प्रकार के सुन्दर पुष्प एवं फलो के पेड़ लगे हुए हैं । 

गौतम गणधर स्वामी मन्दिर :-  इस मन्दिर का निर्माण कार्य परम पूज्य आर्यिका 105 श्री ज्ञानमती माता जी के सौजन्य से श्री गौतम गणधर स्वामी की साढ़े पाँच फुट श्वेत पाषण प्रतिमा की स्थापना बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के निर्देशन में करवाई गयी है । इस मन्दिर के भीतरी दीवालों पर बहुत ही सुन्दर चित्रकारी की गयी है साथ ही मंत्र भी लिखे हुए है । ये प्रतिमा देखने में बहुत ही मनमोहक है । मंदिर का गुम्बज भी कमल पुष्प के आकार के बने हुए है ।

त्यागीवृति हॉल:- मन्दिर के बायीं तरफ एक भव्य त्यागी भवन का  निर्माण कराया गया है जिसमें बाहर से आने वाले त्यागीवृतियों को ठहरने की समुचित व्यवस्था की गयी हैं ।                

गौतम स्वामी चरण  :- धर्मशाला गेट के ठीक सामने श्वेत संगमरमर से निर्मित गौतम स्वामी का चरण स्थापित है । जिसके चारों तरफ सुन्दर बगीचे लगे हुए है । यह चरण भी काफी प्राचीन है ।

भोजनशाला :- गुणावां जी सिद्ध क्षेत्र पर आने वाले यात्रियों के लिए सशुल्क भोजनालय का भी उत्तम प्रबन्ध है । जिसमें यात्रियों के लिए नाश्ते, भोजन सभी प्रकार की सुविधा का पूरा-पूरा ख्याल रखा जाता है । एक बड़ा हॉल है जिसमे यात्री भोजन आदि करते है । ये भोजनशाला धर्मशाला में ही अवस्थित है ।

विद्या सागर कीर्तिस्तंभ  :- मन्दिर प्रांगण के ठीक सामने बहुत ही सुन्दर आचार्य विद्या सागर जी महाराज के जीवन पर आधारित 31 फुट ऊँची विशाल कीर्तिस्तंभ का निर्माण सन् 2018 ई० में कराया गया है ।

यात्री सुविधा केन्द्र :- यहाँ यात्रियों की सुविधा के लिए यात्री सुविधा केन्द्र उपलब्ध है जहाँ यात्रियों को अतिरिक्त गद्दे, तकिया, कम्बल, बर्त्तन- वासन एवं गैस-चूल्हे उपलब्ध कराये जाते है ।

संकलनकर्ता - रवि कुमार जैन - पटना/ बिहार 

गौतम गणधर की निर्वाण स्थली श्री गुणावां जी सिद्ध क्षेत्र प्राचीन काल से सुग्गावन के लिए प्रसिद्ध है । यहाँ के गेट, मानस्तंभ के चारो कोणों पर , मन्दिर की दीवार आदि पर हरे सुग्गो (तोतों) का चित्र बना हुआ है और आश्चर्यजनक रूप से इस प्रियदर्शी पक्षी के निवास के लिये मन्दिर के गुम्बज में भी निर्माणकर्ताओं द्वारा सुग्गो को रहने का स्थल बनाया गया है । अनेक वर्षो से प्रतिदिन क्षेत्र पर सुग्गो को दाने खिलाने की व्यवस्था है जो यात्रियों के सहयोग से ठीक चलती है ।

भगवान महावीर के प्रथम गणधर गौतम स्वामी की निर्वाण भूमि गुणशील चैत्य (वर्तमान गुणावां जी) में कई प्रकार के अतिशय दृष्टिगोचर होते है । मन्दिर के निर्माण काल से ही यहाँ पर सुग्गो की प्रधानता रही है । जैन शास्त्रों में वर्णन है कि तोता चढ़ महा शुक्र सुरपति फूलों की माला को लाते है (प्रकरण तिल्लोयपर्ण्णात पृष्ठ 540-42) अर्थात् इस लोकाकाश में स्थित नन्दीश्वर दीप में विराजमान आकृत्रिम चैत्यालय दर्शन, पूजन हेतु महाशुक्र नामक इन्द्र तोते पर चढ़कर भगवान को माला अर्पण करने यहाँ आते थे और इसके साथ तोते भी भगवान के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य करते थे । तोते के आहार हेतु क्षेत्र पर सुग्गादान कोष स्थापित है जिसमें दान देकर आप पुण्य लें ।

धर्मशाला :- यहाँ जैन यात्रिओं के ठहरने के लिए एक धर्मशाला है । जिसमें 5 साधारण कमरे, 1 डबल अटैच्य कमरे का फ्लैट, एक बड़ा हॉल एवं 1 (एक) एयर कंडीशन कमरे है । इनमें पानी बिजली, आदि सभी प्रकार की सुविधाएँ है । धर्मशाला के प्रांगण में दायीं ओर एक बहुत ही सुन्दर मानस्तंभ हैं । इस धर्मशाला में एक कुआं भी है जिसका उपयोग मन्दिर जी एवं पीने हेतु उपयोग में लाया जाता है । मन्दिर जी के चारो तरफ सुन्दर बगीचे लगे हुए है, जिसमें अनेकों प्रकार के सुन्दर पुष्प एवं फलो के पेड़ लगे हुए हैं । 

गौतम गणधर स्वामी मन्दिर :-  इस मन्दिर का निर्माण कार्य परम पूज्य आर्यिका 105 श्री ज्ञानमती माता जी के सौजन्य से श्री गौतम गणधर स्वामी की साढ़े पाँच फुट श्वेत पाषण प्रतिमा की स्थापना बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के निर्देशन में करवाई गयी है । इस मन्दिर के भीतरी दीवालों पर बहुत ही सुन्दर चित्रकारी की गयी है साथ ही मंत्र भी लिखे हुए है । ये प्रतिमा देखने में बहुत ही मनमोहक है । मंदिर का गुम्बज भी कमल पुष्प के आकार के बने हुए है ।

त्यागीवृति हॉल:- मन्दिर के बायीं तरफ एक भव्य त्यागी भवन का  निर्माण कराया गया है जिसमें बाहर से आने वाले त्यागीवृतियों को ठहरने की समुचित व्यवस्था की गयी हैं ।                

गौतम स्वामी चरण  :- धर्मशाला गेट के ठीक सामने श्वेत संगमरमर से निर्मित गौतम स्वामी का चरण स्थापित है । जिसके चारों तरफ सुन्दर बगीचे लगे हुए है । यह चरण भी काफी प्राचीन है ।

भोजनशाला :- गुणावां जी सिद्ध क्षेत्र पर आने वाले यात्रियों के लिए सशुल्क भोजनालय का भी उत्तम प्रबन्ध है । जिसमें यात्रियों के लिए नाश्ते, भोजन सभी प्रकार की सुविधा का पूरा-पूरा ख्याल रखा जाता है । एक बड़ा हॉल है जिसमे यात्री भोजन आदि करते है । ये भोजनशाला धर्मशाला में ही अवस्थित है ।

विद्या सागर कीर्तिस्तंभ  :- मन्दिर प्रांगण के ठीक सामने बहुत ही सुन्दर आचार्य विद्या सागर जी महाराज के जीवन पर आधारित 31 फुट ऊँची विशाल कीर्तिस्तंभ का निर्माण सन् 2018 ई० में कराया गया है ।

यात्री सुविधा केन्द्र :- यहाँ यात्रियों की सुविधा के लिए यात्री सुविधा केन्द्र उपलब्ध है जहाँ यात्रियों को अतिरिक्त गद्दे, तकिया, कम्बल, बर्त्तन- वासन एवं गैस-चूल्हे उपलब्ध कराये जाते है ।

संकलनकर्ता - रवि कुमार जैन - पटना/ बिहार 


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