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मंदिर जी शिलान्यास 1966 मे किया गया तथा 1974 में मंदिर जी बनकर तैयार हो गया। 

 

मूलनायक भगवान महावीर स्वामी पदमासन मुद्रा , में विराजित है। मंदिर जी में समय समय पर संतो के चातुर्मास का सौभाग्य मिला, जिसका विवरण इस प्रकार है-: 2001 आर्यिका श्रुतदेवी माताजी आर्यिका सुज्ञानी माताजी ,2011 पुण्य सागर जी महाराज, 2012 आचार्य सिद्धांत सागर जी महाराज ससंघ, 2013 एलाचार्य अतिवीर जी महाराज तथा 2016 छुल्लिका

पूजा भूषण, भक्ति भूषण माताजी। मंदिर जी में, महीने के पहले रविवार को शांतिविधान पिछले 20 सालो से लगातार आयोजित किया जाता है। महिला मंच द्वारा संचालित संस्कार मंच द्वारा हर महीने की 16 तारीख को सामूहिक पूजन पिछले 12 साली से लगातार और हर दूसरे वीरवार को भक्तामर दीप आराधना का आयोजन किया जाता है। दिगम्बर जैन महिला मंडल द्वारा हर दूसरे शनिवार को चालीसा का आयोजन दिन में किया जाता है। त्यागी वृति सेवा संघ द्वारा मुनि महाराज के आहार की व्यवस्था की जाती है। पुण्य प्रभावना मंच द्वारा महीने की 1 तारीख को वर्धमान स्त्रोत्र का पाठ किया जाता है। फरवरी-मार्च  में वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है तथा हर वर्ष दसलक्षण महापर्व का आयोजन तथा उसके पश्चात जल यात्रा का आयोजन बडे धूमधाम से किया जाता है।

 

 

मंदिर जी शिलान्यास 1966 मे किया गया तथा 1974 में मंदिर जी बनकर तैयार हो गया। 

 

मूलनायक भगवान महावीर स्वामी पदमासन मुद्रा , में विराजित है। मंदिर जी में समय समय पर संतो के चातुर्मास का सौभाग्य मिला, जिसका विवरण इस प्रकार है-: 2001 आर्यिका श्रुतदेवी माताजी आर्यिका सुज्ञानी माताजी ,2011 पुण्य सागर जी महाराज, 2012 आचार्य सिद्धांत सागर जी महाराज ससंघ, 2013 एलाचार्य अतिवीर जी महाराज तथा 2016 छुल्लिका

पूजा भूषण, भक्ति भूषण माताजी। मंदिर जी में, महीने के पहले रविवार को शांतिविधान पिछले 20 सालो से लगातार आयोजित किया जाता है। महिला मंच द्वारा संचालित संस्कार मंच द्वारा हर महीने की 16 तारीख को सामूहिक पूजन पिछले 12 साली से लगातार और हर दूसरे वीरवार को भक्तामर दीप आराधना का आयोजन किया जाता है। दिगम्बर जैन महिला मंडल द्वारा हर दूसरे शनिवार को चालीसा का आयोजन दिन में किया जाता है। त्यागी वृति सेवा संघ द्वारा मुनि महाराज के आहार की व्यवस्था की जाती है। पुण्य प्रभावना मंच द्वारा महीने की 1 तारीख को वर्धमान स्त्रोत्र का पाठ किया जाता है। फरवरी-मार्च  में वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है तथा हर वर्ष दसलक्षण महापर्व का आयोजन तथा उसके पश्चात जल यात्रा का आयोजन बडे धूमधाम से किया जाता है।


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