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श्री १००८ पुष्पदन्त दिगम्बर जैन मंदिर, 

बड़ौत के ग्रामीण क्षेत्र मे गांव बिजरौल  मे लगभग 114 वर्ष प्राचीन अतिशयकारी मूलनायक श्री पुष्पदन्त भगवान का मंदिर है।

ग्रामीण  क्षेत्रो सेजैन समुदाय के पलायन के चलते इस प्राचीन मंदिर में पूजा-पाठ बन्द हो चुकी है और मंदिर की स्थिति बड़ी दयनीय अवस्था में थी। इसलिए बड़ौत की युवा संगठन ने इस मंदिर में पूजा-पाठ करने का बीड़ा उठाया। इस मंदिर में भगवान पुष्पदन्त की बहुत मनोज्ञ एवं अतिशकारी श्वेत पद्मासन प्रतिमा है तथा साथ में चार प्रतिमा एवं दो यन्त्र हैं। मंदिर शिखरबंद है। पिछले बीस वर्षों से बड़ौत का युवा संगठन इस मंदिर में प्रत्येक रविवार-सोमवार-मंगलवार एवं पर्व विशेष पर पूजा करने के लिए आते हैं। बिजरौल गांव बड़ौत बुढाना मुजफ्फरनगर मार्ग पर स्थित है। बड़ौत से गांव की दूरी 5 किलोमीटर है।

समय-समय पर दिगम्बर जैन मुनियों का जिसमें श्री नयन सागरजी, विशोक सागरजी, ज्ञानसागरजी, चिन्मय सागरजी महाराज आते रहे हैं। उपाध्यायश्री 108 नयनसागरजी महाराज जी ने बड़ौत के युवा संगठन को आशीर्वाद के रूप में संगठन का नाम युवा मंच बिजरौल सुशोभित किया। प्राचीन मंदिर बिजरौल का अतिशय

भगवान पुष्पदंत की प्रतिमा विशेष अतिशयकारी है। यहां पर सैकड़ों की संख्या में जैन लोग अपनी समस्या हेतु मंदिर में प्रार्थना लेकर आते है। उनकी यह समस्या हल हो जाती है। यहाँ के देव जागृत अवस्था में हैं। किंवदंती है कि जो प्रतिमा 100 वर्ष से अधिक पुरानी हो जाती है वह अतिशयकारी हो जाती है। व्यापार एवं नौकरी की समस्या हेतु यह मंदिर बहुत ही अतिशयकारी है। हमारी समस्त जैन समाज से अपील है कि ग्रामीण अंचल में स्थित जैन मंदिरों के संरक्षण एवं संवर्धन जैसे पुनीत कार्य में सहयोग करें तथा गांवों में स्थित मंदिर की सुचारू पूजन-अभिषेक हो।

 

 

श्री १००८ पुष्पदन्त दिगम्बर जैन मंदिर, 

बड़ौत के ग्रामीण क्षेत्र मे गांव बिजरौल  मे लगभग 114 वर्ष प्राचीन अतिशयकारी मूलनायक श्री पुष्पदन्त भगवान का मंदिर है।

ग्रामीण  क्षेत्रो सेजैन समुदाय के पलायन के चलते इस प्राचीन मंदिर में पूजा-पाठ बन्द हो चुकी है और मंदिर की स्थिति बड़ी दयनीय अवस्था में थी। इसलिए बड़ौत की युवा संगठन ने इस मंदिर में पूजा-पाठ करने का बीड़ा उठाया। इस मंदिर में भगवान पुष्पदन्त की बहुत मनोज्ञ एवं अतिशकारी श्वेत पद्मासन प्रतिमा है तथा साथ में चार प्रतिमा एवं दो यन्त्र हैं। मंदिर शिखरबंद है। पिछले बीस वर्षों से बड़ौत का युवा संगठन इस मंदिर में प्रत्येक रविवार-सोमवार-मंगलवार एवं पर्व विशेष पर पूजा करने के लिए आते हैं। बिजरौल गांव बड़ौत बुढाना मुजफ्फरनगर मार्ग पर स्थित है। बड़ौत से गांव की दूरी 5 किलोमीटर है।

समय-समय पर दिगम्बर जैन मुनियों का जिसमें श्री नयन सागरजी, विशोक सागरजी, ज्ञानसागरजी, चिन्मय सागरजी महाराज आते रहे हैं। उपाध्यायश्री 108 नयनसागरजी महाराज जी ने बड़ौत के युवा संगठन को आशीर्वाद के रूप में संगठन का नाम युवा मंच बिजरौल सुशोभित किया। प्राचीन मंदिर बिजरौल का अतिशय

भगवान पुष्पदंत की प्रतिमा विशेष अतिशयकारी है। यहां पर सैकड़ों की संख्या में जैन लोग अपनी समस्या हेतु मंदिर में प्रार्थना लेकर आते है। उनकी यह समस्या हल हो जाती है। यहाँ के देव जागृत अवस्था में हैं। किंवदंती है कि जो प्रतिमा 100 वर्ष से अधिक पुरानी हो जाती है वह अतिशयकारी हो जाती है। व्यापार एवं नौकरी की समस्या हेतु यह मंदिर बहुत ही अतिशयकारी है। हमारी समस्त जैन समाज से अपील है कि ग्रामीण अंचल में स्थित जैन मंदिरों के संरक्षण एवं संवर्धन जैसे पुनीत कार्य में सहयोग करें तथा गांवों में स्थित मंदिर की सुचारू पूजन-अभिषेक हो।

 

 


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