मुख्य मंदिर

  

 

जल मंदिर

 

एक विशाल सरोवर के मध्य में एक भव्य जल मंदिर बना हुआ है। मंदिर तक जाने के लिये पुल है। सरोवर के मध्य चबूतरे पर एक पक्का कुआँ बना हुआ है। मंदिर के मूलनायक भगवान महावीर की श्वेत वर्ण की पद्मासन प्रतिमा है| समवसरण में 4 पाषाण (Stone) की और 9 धातु की मूर्तियाँ हैं एक विशाल ऊतुंग मानस्तंभ सरोवर के मध्य पूरी शान से खड़ा है जो तीर्थ की शोभा में वृद्धि करता है। इस मानस्तंभ में भगवान पारस नाथ स्वामी 10 पूर्व जन्मों का विवरण से अंकित किया गया है। इसकी पृष्ठ भूमि में समवसरण मंदिर एवम् पर्वत स्थित सभी जिनालयों के दर्शन होते हैं।

 

 

समवसरण मंदिर

 

सरोवर एवं पहाड़ी के संगम पर 10,000 वर्ग फीट क्षेत्र में विशाल समवसरण मंदिर है। इसकी पंचकल्याणक सन् १९८७ में आयोजित किया गया था

 

 

 

पार्श्वनाथ चौवीसी मंदिर

 

पार्श्वनाथ मंदिर-भगवान पार्श्वनाथ की बादामी वर्ण की यह खड्गासन प्रतिमा 13 फीट है। इस प्रतिमा के सिर पर सर्प-फणावली नहीं है। जो पार्श्वनाथ तीर्थंकर का लांछन है। सिर के पृष्ठभाग में सुन्दर भामण्डल है तथा ऊपर छत्रत्रयी सुशोभित है। परिकर में विमान में बैठ हुए देव, चमरेन्द्र और वाद्यवादक हैंं। एक वेदी में यहाँ से मुक्त हुए मुनिराज मुनीन्द्रदत्त, इन्द्रदत्त, वरदत्त, गुणदत्त और सायरदत्त की खड्गासन श्वेत वर्ण की मूर्तियाँ विराजमान हैं। भक्तजन इस मंदिर को ‘बड़े बाबा का मंदिर’, ‘चौबीसी जिनालय’ आदि कई नामों से पुकारते हैं।

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