प्रमुख दर्शनीय स्थल

आचार्य वरदत्त की तपोभूमि और सिद्धशिला

 

पर्वत के पीछे सेमरा पठार एवं नदी की धारा के मध्य में ५० फुट ऊँची एक पाषाण-शिला है। कहा जाता है कि इसी शिला पर तप करते हुए वरदत्त आदि पाँच मुनिराज मुक्त हुए थे। अत: यह शिला सिद्धशिला कही जाती है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र से लगभग एक मील दूर जंगल में एक प्राचीन वेदिका है जो काफी विशाल है।

 

 

ध्यान केंद्र

 

धर्मशाला परिसर में पीछे की ओर,नवीन धर्मशाला एवम् कार्यालय भवन के निकट यह ध्यान केंद्र निर्मित है।भवन की छत डोम के आकार की है। यहां पर ध्यान करने का उपयुक्त वातावरण है। यह सुंदर एवम् आकर्षक संत भवन है।

 

 

शोध संस्थान

 

वर्ष 2000 में आचार्य देवनंदी जी महाराज की प्रेरणा से देवनंदी शोध संस्थान की स्थापना की गई। वर्तमान में इस संस्थान में लगभग 7000 अति प्राचीन जैन साहित्य के ग्रंथ मौजूद हैंl यह ग्रंथ, जो भी छात्र छात्राएं जैनिज्म में पीएचडी करना चाहते हैं उनके लिए अत्यंत उपयोगी हैं। जो भी छात्र-छात्राएं यहां बैठकर जैनिज्म पर पीएचडी करते हैं उनको तीर्थ के द्वारा निशुल्क आवास एवं भोजन की सुविधा भी प्रदान की जाती है ।

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