g_translateमूल टेक्स्ट दिखाएं
मिथिलापुरी तीर्थ एक परिचय
श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ की स्थापना के "प्रथम वर्ष"
-----------------------------------
परम पूज्य आचार्यों, मुनिराजों, आर्यिका माताओं एवं साधु-संतों के मंगल आशीर्वाद से एवं पूज्य दादाजी स्व. श्री सुबोध कुमार जी जैन तथा पूज्य पिताजी श्री अजय कुमार जी जैन,आरा की प्रेरणा से, बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सभी पदाधिकारियों एवं सभी भव्य आत्माओं के सहयोग से पिछले वर्ष दिनांक - 9 मई 2022 को जैन धर्म के 19वें तीर्थंकर भगवान मल्लिनाथ स्वामी और 21वें तीर्थंकर भगवान नमिनाथ स्वामी के 4-4 कल्याणकों (गर्भ, जन्म, तप और केवलज्ञान) अर्थात 8 कल्याणकों से सुशोभित श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ की विधिवत् पुनर्स्थापना हो गई।
प.पू.आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज ससंघ के मंगल सानिध्य में श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ पर चतुर्थकालीन प्रतीत, अति मनमोहक भगवान आदिनाथ स्वामी, भगवान मल्लिनाथ स्वामी और भगवान नमिनाथ स्वामी की प्रतिमा स्थापित करने हेतु वेदी प्रतिष्ठा एवं प्रथम जिनबिम्ब स्थापना एवं लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया ।
जैन धर्म में 24 तीर्थंकरों के पांच-पांच कल्याणक क्षेत्रों को मिलाकर 120 कल्याणक होते हैं । जिसमें से 112 कल्याणक क्षेत्रों पर तीर्थ स्थापित हो चुके थे। आठ कल्याणक क्षेत्र श्री मिथिलापुरी जी अभी तक बचा हुआ था, जिसकी स्थापना का संपूर्ण जैन समाज को दशकों नहीं शताब्दियों से इंतजार था, वह भी श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ की स्थापना के साथ पूर्ण हो गया है । यह हम सभी जैन धर्मावलंबियों के लिए बहुत ही गौरव का क्षण था।
बात उन दिनों की है जब हमलोग आरा में रहते थे और मैं आरा जैन स्कूल में पढ़ता था। दादाजी अक्सर इस तीर्थ को स्थापित करने के लिए काठमांडू, नेपाल के श्वेतांबर समाज के नेता श्री हुलास चंद जी गोल्छा को जनकपुर, नेपाल में जमीन दिलवाने के संबंध में पत्र लिखवाते थें और एक साथ दिगंबर और श्वेतांबर मंदिर स्थापित कर श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ की स्थापना कराना चाहते थे। उन दिनों दादाजी श्री बिहार स्टेट दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के "मानद मंत्री" हुआ करते थे । फिर पिताजी श्री अजय कुमार जी जैन को बिहार के सभी तीर्थों को संभालने की जिम्मेदारी आई। इन्होंने भी अथक प्रयास किया कि किसी तरह जनकपुर, नेपाल में हम जैनियों को जमीन मिल जाए । दिल्ली में तथा काठमांडू में दोनों ही जगह विदेश मंत्रालय तथा राजदूतों के बीच में जैन समाज की कई बैठकें की गई। परंतु नेपाल में राजनीतिक उठा पटक के कारण सफलता नहीं मिल पाई।
वर्ष 2016 में मुझे बिहार स्टेट दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी का मानद मंत्री सर्वसम्मति से बनाया गया। इतनी बड़ी जिम्मेदारी की परिकल्पना मैंने कभी नहीं की थी । बिहार में स्थित 12 तीर्थों और उसमें भी लगभग 50 मंदिरों की व्यवस्था संभालना, मुझे लगा शायद मैं इस कार्य को कैसे संभाल पाऊंगा। परंतु धीरे धीरे सभी तीर्थ व्यवस्थित होते चले गए और सभी तीर्थों पर विकास के भी खूब कार्य किए गए । मुझे बहुत आनंद आने लगा और इसी बहाने तीर्थों की यात्रा करने का खूब अवसर मिला । मेरा समय परिवार के साथ साथ तीर्थों की सेवा में भी लगने लगा । इसी बीच हमारी धर्मपत्नी मंजरी जैन का स्वर्गवास हो गया। मुझे लगा कि अब मेरी दुनिया खत्म हो गई । परंतु शायद तीर्थों की सेवा करते रहने से मेरा दुख बहुत कम हो गया।
पूज्य दादा जी एवं पिताजी के सपनों को पूरा करने के लिए मैंने भी नेपाल में जमीन लेने का प्रयास शुरू कर दिया । परंतु, आने जाने के क्रम में मुझे ऐसी जानकारी मिली कि नेपाल में जमीन केवल नेपाली नागरिकता वाले लोगों को ही मिलेगी ।
उसके बाद नेपाल बॉर्डर के आसपास जमीन लेने का प्रयास शुरू हो गया । सफलता 2019 में मिल गई, लगभग 60000 स्क्वायर फीट की जमीन सीतामढ़ी से 30 किलोमीटर आगे नेपाल स्थित मल्लीबाड़ा गांव के पास (जनकपुरधाम, नेपाल से 12 किलोमीटर पहले) सुरसंड-जनकपुर रोड पर खरीदी गई और तीर्थ स्थापना का प्रयास शुरू हो गया । जमीन मिलते ही प.पू़. गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी की आशीर्वाद से स्वस्तिश्री रविन्द्रकीर्ति स्वामी जी ने दोनों तीर्थंकरों के चरण चिन्ह क्षेत्र पर विराजमान कराने हेतु भेज दिया और तीर्थ स्थापित हो गया।
परम पूज्य माता जी के आशीर्वाद से क्षेत्र पर स्थापित होने के लिए तीन तीर्थंकरों की कमल सहित सवा 11 फीट की प्रतिमा आने वाली है । परंतु, इसमें थोड़ा विलंब होगा, यह जानकर यह तीनों तीर्थंकरों की छोटी प्रतिमा तीर्थ पर विराजमान करने का निर्णय लिया गया।
वेदी प्रतिष्ठा और प्रथम जिनबिंब की स्थापना तीर्थ पर करने हेतु प. पू. आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया और वे मेरे आग्रह करने पर तुरन्त चंद्रावती, बनारस से काकन्दी होते हुए श्री मिथिलापुरी जी की तरफ इस कड़ी गर्मी में भी विहार कर गए ।
नेपाल की तरफ उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर के बाद सीतामढ़ी जिले में किसी भी दिगंबर मुनि का बिहार आज तक नहीं हुआ था। अतः कोई अप्रिय घटना ना हो इसलिए उस जिले के जिलाधिकारी एवं मुख्य आरक्षी अधीक्षक से मुलाकात करके आचार्य श्री ससंघ को जिला का मुख्य अतिथि घोषित करवा कर दो गाड़ी पुलिस बल का इंतजाम करवाया गया। आचार्य श्री नेपाल भी जा सके इसके लिए नेपाल पुलिस से भी सहयोग स्थापित किया गया।
दिनांक- 9 मई 2022 को श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ पर आचार्य श्री का ससंघ भव्य मंगल प्रवेश हुआ और उनके सानिध्य में नवनिर्मित नवीन वेदी पर तीनों तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को विधिवत स्थापित किया गया। आचार्य श्री ने अन्य दो प्रतिमाओं का लघु पंचकल्याणक भी कराया । अनेक भव्य आत्माओं के बीच यह कार्यक्रम बहुत उत्साह पूर्वक और आनंदमयी धार्मिक वातावरण में सानंद संपन्न हुआ।
संपूर्ण जैन समाज में एक खुशी की लहर छा गई और पिछले 01 वर्ष में हजारों की संख्या में यात्री श्री मिथिलापुरी जी में आकर, तीर्थ की वंदना कर, भगवान के दर्शन- पूजन कर अपने आप को पुण्यशाली मान रहे हैं और तीर्थ विकास में अपना बहुत सहयोग कर रहे हैं।
प. प. चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने अभी हाल ही में संपन्न हुए दुर्ग तथा चौरई पंचकल्याणक महोत्सव में श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ पर तीनों तीर्थंकर भगवान की 33 -33 फुट ऊंची खडगासन प्रतिमा को अपने सानिध्य में विराजमान कराकर भव्य पंचकल्याणक कराने का आशीर्वाद दिया है।
मिथिलापुरी जी तीर्थ पर विकास का कार्य द्रुतगति से करवाया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 10 कमरे की धर्मशाला बनकर तैयार हो रही है और क्षेत्र पर बाउंड्रीवॉल के निर्माण का कार्य भी चल रहा है। हमारा जैन समाज के सभी साधर्मी भाईयों से निवेदन है कि इस अद्भुत एवं ऐतिहासिक आठ कल्याणक भूमि का अवश्य दर्शन करें और इस बहुत प्रतिक्षित पुनर्स्थापित श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ के विकास में अपना तन, मन, धन से सहयोग कर अत्यंत पुण्य के भागी बने।
श्री मिथिलापुरी जी तीर्थ क्षेत्र से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करें...
सोनू जैन- 7667970973
-----------------------
पराग जैन "मानद मंत्री"
बिहार स्टेट दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी
9 मई 2023
एक वर्ष पहले
By : Shree Mithilapuri Ji Digamber Jain Teerth Kshetra