समाचार
मैं भारत हूँ फाउंडेशन
Amrit Mahostav
स्नेह वृंद भारतीय! जय भारत!
भारत की आजादी के 'अमृत महोत्सव' की शुभ बेला पर भारत के नव निर्माण का अवसर हम सभी को प्राप्त हुआ है। भारत के पुरातन और सनातन के साथ भारत के प्रयोगों और सहयोगों को पूरे विश्व को बताएं तभी तो हम विश्व गुरु का स्थान प्राप्त कर सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आज हजारों वर्ष पहले से सौर्य मंडल की गणना शुन्य देकर अंक गणना, शल्य चिकित्सा की अद्भुत शैली योगा प्राणायाम, आयुर्वेद, विश्व का प्राचीनतम विश्वविद्यालय यानी नालंदा, स्थापत्य कला का अतुलनीय निर्माण आदि अन्य व्यवस्थाओं को प्रदान कर विश्व को राह दिखाने वाला हमारा 'भारत' आज युवाओं के अनजानेपन से अछूता रह जा रहा है।
'मैं भारत हूं फाउंडेशन' का उद्देश्य यह है कि हम सभी सामूहिक कटिबद्धता से इसे जीवंत कर सभी तथ्यों की जानकारी से पूरे विश्व को अवगत कराएं, जैसे कि केदारनाथ मंदिर की निर्माण प्रक्रिया, इतना बडा प्राकृतिक विपर्जय मंदिर का बाल भी बांका नहीं कर पाया, ऐसे और कितने तथ्य पुरातत्व विभाग के अंतर्गत छुपे हुए हैं, स्वार्थवश कुछ देशों द्वारा हमारे वैभव संपदा को लूट कर खुद के नामकरण से विश्व में सम्मानित हो रहें हैं।
हम 'भारत' के १३५ करोड़ भारतीयों को बताएं कि विश्व के नवनिर्माण में हमारे 'भारत' की भूमिका को भी कोई नकार नहीं सकता, किसी का दिया हुआ नाम हमें खरीद नहीं सकता। 'एक राष्ट्र- एक नाम' के अभियान के साथ हम आगामी ७ अगस्त २०२२ को दिल्ली स्थित 'डॉ. आम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर १५, जनपथ रोड, विंडसर प्लेस, नई दिल्ली- ११०००१ में पूरे प्रमाणित तथ्यों के साथ ऐतिहासिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने जा रहे हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों से बुद्धजीवी, राजनीतिज्ञ, साहित्यकार, संवाददाता, उद्योगपति, शिक्षाविद्, कलाकार आदि की उपस्थिति के साथ सभी के विचारों का मंथन कर 'भारत' को नव निर्माण की ओर प्रगति प्रदान करें। आप सभी से अनुरोध है कि इस अभियान में हमारे साथ जुड़कर अपना मार्गदर्शन प्रदान करें।
कल का 'भारत' सभ्यता और संस्कृति के नींव का पत्थर, क्या आप जानते हैं कि विश्व में 'भारत' ही वो पहला देश है जिसने मानव सभ्यता को स्थापित
किया है, जानते हैं कैसे?
ऋग वेद, ऋषि मुनि और महान मनीषी महर्षियों का यह देश पूरे विश्व को जो कुछ प्रदान किया: १) आर्यभट्ट शून्य की खोज, खगोल शास्त्री, गणितज्ञ २) महर्षि कणाद परमाणु संरचना
३) भास्कराचार्य-गुरुत्वाकर्षण ४) महर्षि चरक आयुर्वेद विशारद ५) भारद्वाज वायुयान की खोज
६) ऋषि अगस्त्य कुमोदभाव यानि बैटरी की खोज ७) महर्षि कण्व वायु विज्ञान ८) कपिल मुनि सांख्य शास्त्र (तत्व पर आधारित)
९) पाणिनि भाषा-व्याकरण शास्त्र १०) महर्षि पतंजलि योग, प्राणायाम
आज जिन विदेशी विश्वविद्यालय में आप पढ़ने हेतु लालायित हैं उनकी आधारशिला भी 'भारत' की ही है, क्योंकि यह प्रमाणित है कि चन्द्रगुप्त मौर्य के समय चाणक्य द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में विदेशों से बहुत मात्रा में छात्र पढ़ने 'भारत' आते थे, जिनमें विक्रमशिला, तक्षशिला, नालंदा, वल्लभ जगदल, सोमपुरा, पुष्पगिरि, ओदान्तपुरी आदि प्रख्यात हैं। प्राचीन भारत की संपदाओं की शिक्षा प्रणालियों को हमसे ही लेकर भले ही आज हमारी युवा पीढ़ी को बरबस आकर्षित कर हमारी उपलब्धियों का लाभ पाश्चात्य देश ले रहा है।
हमारी कर्मठता और आविष्कार को अपनाकर हमारी संस्कृति को विध्वंस कर रहे हैं, ना हम जानते हैं और ना ही हमारी युवा पीढ़ी हमारी उपलब्धियों को जानती है। हमारी परंपरा, वेषभूषा, खान पान, लोक संस्कृति, भाईचारा, सामाजिक समरसता, हमारे बच्चों को उच्चस्तरीय बुद्धिजीवि बनाती है और विदेशी हमारे युवाओं से लाभ ले कर अपना स्तर उच्च करने में लगे हैं। अब और नहीं होगा...
हम सभी भारतीय जाग गए हैं। आज भारत विश्व में अपना स्थान पहली पंक्ति में मिसाल बना रहा है। हमने कोरोना काल में सजगता से इसको प्रमाणित किया है। स्वामी विवेकानन्द ने 'भारत' की सोच और समझ एवं युवा पीढ़ी की ऊर्जा को विश्व में प्रतिस्थापित कर नया आयाम बनाया है, आने वाले समय में 'भारत' को विश्व द्वारा किस नजरिये से देखा जा रहा है, जानते हैं। 'भारत' आज विश्व का नेतृत्व करने को आतुर है। भारत के सफल परिवर्तन व तीव्र गति को सभी खुली आंखों से अनुभव कर रहे हैं, भारत को विश्व की संस्थाओं द्वारा अग्रणी भूमिका निर्वाहण करने का आमंत्रण और उचित स्थान देकर नवाजा जा रहा है, चलते चलें कल के भारत की ओर...
नवभारत निर्माण का यह सुनहरा सवेरा ले कर आया है उन्नति और प्रगति के साथ नया उल्लास, विश्वास, नवीन उर्जा और नया सृजन... युवाओं के कंधे मजबूती से मंजिल की तरफ तीव्र गति से अग्रसित होते नजर आ रहे हैं...
वो पल अब दूर नहीं जब विश्व गुरु भारत अब विश्व महागुरू के सफल गंतव्य की ओर अग्रसर हो रहा है... आजादी का महापर्व 'अमृत महोत्सव' की स्वर्णिम बेला में आईये याद करें और श्रद्धांजलि दें उन विचारकों, क्रांतिकारियों और शहीदों को। स्मरण करें उनके बलिदान और सोच व कार्यों को, जिन्होंने भारत मां को आजादी का तिरंगा पहनाया, हमें दासत्व से मुक्त कराया। स्वजनों! 'भारत' आज भी 'एक राष्ट्र- एक नाम की गुहार लगा रहा है, एक शाम उन भारत के सपूतों के नाम, सब मिल मनाएं आजादी का अमृत महोत्सव! आप सभी भारतीयों की उपस्थिति सादर प्रार्थनीय,
अतएव ९ अगस्त श्रवण शुक्ला द्वादशी मंगलवार के दिन आपसे करबद्ध निवेदन है कि इस महत्वपूर्ण भारत भक्ति के कार्यक्रम में अतिथि स्वरूप पधार कर अपने मार्गदर्शन से हम भारतीयों का पथ प्रदर्शन करें।" धन्यवाद, जय भारत!
मैं भारत हूँ फाउंडेशन