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जिनालय का संक्षिप्त परिचय
प्राचीन धर्म नगरी पार्श्वनी जिसका नाम समय परिवर्तन के साथ पारशिवनी हआ । ग्राम स्थित प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर में स्थापित मूलनायक श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान की पाषाण निर्मित अतिशयकारी प्रतिमा लगभग 450 वर्ष प्राचीन है। मंदिर के परिसर में भगवान आदिनाथ की लगभग 300 वर्ष प्राचीन अतिशयकारी प्रतिमा स्थापित है।
ग्राम में वृद्धजनों से सुनने मिलता है कि ग्राम के जिन मंदिर में अनेक अतिशयकारी घटनाएं घटित हुई हैं । कुछ वर्षों पूर्व जिनालय के स्वर्ण कलश चोरी के उद्देश्य को लेकर दो चोर शिखर पर चढ़े जैसे ही उन्होंने कलश पर हाथ लगाया उनकी नेत्र ज्योति चली गई ... आदिनाथ भगवान के समक्ष पश्याताप कर, देखने की शक्ति को वे पुनः प्राप्त कर पाए। वर्ष 1994-95 में आदिनाथ भगवान के जिनालय में नित्य अभिषेक के दौरान तपती धूप में पूरे जिनालय से जलधारा प्रवाहित होने लगी इस घटना के अनेक प्रत्यक्षदर्शी हैं।जिनालय के दर्शन एवं पूजन हेतु देवी देवताओं का आगमन होता रहता है जिसका आभास ग्राम के कुछ लोगों ने किया है।
मंदिर क्षेत्र में भव्य चौबीसी एवं महावीर जिनालय का निर्माण सन 2001 में तथा बाहुबली भगवान की प्रतिमा वर्ष 2002 में एलक उदार सागर जी के निर्देशन में स्थापित की गई। आचार्य श्री 108 देशभूषण जी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज आदि अनेक संतों का आगमन इस पावन धरा पर हआ है । वर्ष 2004 में मुनि श्री 108 प्रबुद्ध सागर जी महाराज का चातुर्मास सानन्द सम्पन्न हुआ... दर्शनार्थियों का मानना है कि जिनालय के दर्शन से आत्मिक शान्ति के साथ मनोकामना भी पूर्ण होती है।
fmd_good Parshivni, District : Nagpur, Parshivni, Maharashtra, 441105
account_balance Digamber Temple