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अर्हं एक बीज मंत्र है जिसमें अनंतानंत सिद्ध परमेष्ठी की ऊर्जा निहित है। निलय का अर्थ है — स्थान। अर्हं विद्या निलय के नाम में ही अर्हं की शक्ति व ऊर्जा और आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का आशीर्वाद समाहित है। परम पूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के चरण कमलों ने इस स्थान को पावन कर दिया है और उन्हीं की प्रेरणा और मार्गदर्शन से इसका निर्माण कार्य प्रगति पर है। जिस स्थान की भूमि इतनी भव्य आत्माओं से जुड़कर पवित्र हो गई है, ऐसा यह मंगलकारी स्थान यदि भविष्य में किसी तीर्थ क्षेत्र जैसा विकसित हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
अर्हं विद्या निलय का यह प्रोजेक्ट पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल की तरह है। सभी तरह की आवश्यकताओं और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए इस स्थान को विकसित किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में स्थान की कमी होती है, ऐसे क्षेत्रों के लिए यह एक अनोखा प्रोजेक्ट है जो सभी को आकर्षित करता है। शहरी क्षेत्रों में आध्यात्मिक धर्म स्थलों के विकास के लिए यह प्रोजेक्ट सभी के लिए प्रेरणा स्रोत और आदर्श भी है।
अर्हं विद्या निलय प्रोजेक्ट की विशेषता यह है कि इसमें एक ही स्थान पर — अर्हं ध्यान योग केंद्र, प्रवचन केन्द्र, संत निवास, त्यागी – व्रती, शोधार्थी छात्रों के रहने के लिए कक्ष, भोजनालय, आहारशाला, सात्विक रसोई, शास्त्रालय, प्राकृत शिक्षा केंद्र, पंचमेरू, नंदीश्वर दीप रचना, कुंआ एवं वाटर हार्वेस्टिंग आदि सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराया गया है।
अर्हं विद्या निलय में 5 फ्लोर होंगे जिनका निर्माण कार्य इस प्रकार होगा —
1. बेसमेंट (Basement) — अर्हं विद्या निलय के बेसमेंट में अर्हं ध्यान योग केंद्र का निर्माण किया जायेगा । इस केंद्र को भिन्न तरह की lights और sound की व्यवस्था के साथ विकसित किया जा रहा है। इन सुविधाओं से युक्त भारत का यह प्रथम अर्हं ध्यान योग केंद्र होगा। इसके साथ ही इस तल पर प्रवचन केंद्र की भी व्यवस्था होगी।
2. भूतल (Ground floor) — शहरी क्षेत्रों में हरियाली की कमी को देखते हुए इस floor का प्रकृति के लिए समर्पित किया गया है। ग्राउंड फ्लोर पर छोटा सा वन पेड़ पौधे और शुद्ध जल के लिए जीवाणी यंत्र युक्त कुंए की सुविधा उपलब्ध होगी।
3. प्रथम तल (First floor) — गुरुजनों का सानिध्य इस क्षेत्र को निरन्तर मिलता रहे, इस भावना के साथ इस floor पर मुनि संघ के लिए तीन सन्त निवास और दो विश्रामालयों का निर्माण किया जा रहा है। 4.द्वितीय तल (Second floor) — इस floor पर प्रतिमाधारी, त्यागी व्रती, जैन धर्म पर रिसर्च करने वाले व शुद्ध भोजन ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए सुविधा प्रदान की गई है। इसमें उनके लिए एक हॉल, चार फर्नीचर युक्त कक्ष एवं भोजनालय की उपलब्धता होगी। इसके अतिरिक्त एक आहारशाला और क्षेत्र के लिये एक सात्विक रसोई की व्यवस्था भी यहाँ होगी।
5. तृतीय तल (Third floor) — इस floor को जिनवाणी अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इस क्षेत्र का प्रथम आधुनिक एवं विशाल शास्त्रालय और जैन धर्म अध्ययन केंद्र का निर्माण यहाँ पर किया जायेगा। इसके साथ ही प्राकृत शिक्षा केंद्र की भी यहां पर स्थापना होगी
6. चौथा तल (Fourth floor) — यह floor देव दर्शन व जिनालय के लिए आरक्षित किया गया है। इस floor पर मुख्य वेदी सहित तीन प्रतिमा, चौबीसी, पंचमेरू और भव्य नंदीश्वर दीप की अद्भुत रचना होगी।
पूरे भवन में वर्षा के जल का संचयन करने की सुविधा होगी जिसका उपयोग आहार चर्या और अभिषेक में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त वाटर हार्वेस्टिंग के द्वारा अतिरिक्त जल को भूतल पर पहुंचाने की व्यवस्था है। बेसमेंट से fourth floor तक जाने के लिए लिफ्ट भी उपलब्ध होगी।
इस भवन में निर्मित हो रही भव्य नंदीश्वर दीप रचना दिल्ली सहित सम्पूर्ण NCR के लिये दर्शनीय एवं आर्कषण का केन्द्र होगी। राजधानी दिल्ली में विभिन्न उद्देश्यों को ध्यान में रखकर विकसित किया जा रहा यह अर्हं विद्या निलय अनेक योजनाओं और सुविधाओं के संगम स्थल की तरह है जो पूरे देश के लिए एक अभूतपूर्व आर्दश सिद्ध होगा।
fmd_good Plot No.126, Pocket 16, Sector 20, Rohini, Delhi, 110085
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