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सामाजिक चेतना की अग्रदूत प्रगतिशील, सुधारवादी संस्था 'अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद की स्थापना 26 जनवरी, 1923 को दिल्ली में हुई थी। परिषद अपने जनहितकारी, सुधारवादी और क्रांतिकारी कार्यों के लिए जानी जाती है। परिषद के आद्य संस्थापक जैन जागरण के अग्रदूत - परमश्रद्धेय ब्र. सीतलप्रसाद, बैरिस्टर चम्पतराय, बाबू अजीत प्रसाद वकील, पं. जुगलकिशोर मुख्तार, प्रो. डॉ. डीरालाल, कामता प्रसाद एवं परिषद के संरक्षक-संवर्द्धक रहे साहू जुगमन्दरदास, साडू शांति प्रसाद, पं. परमेष्ठीदास, बाबू अक्षय कुमार जैन, साहू अशोक कुमार जैन, रायसाहब ज्योतिप्रसादः जैन, डालचन्द जैन, साहू रमेशचन्द्र जैन, पारसदास जैन, बलवन्तराय जैन एवं भगतराम जैन आदि प्रबुद्धजनों से समस्त जैन समाज भलीभांति परिचित है।
परिषद सदैव ही अपने प्रगतिशील विचारों के कारण समाज की लोकप्रिय संस्था रही है। परिषद की प्रेरणा से समाज में जागृति आयी, इस्तलिखित शास्त्रों के मुद्रण- प्रकाशन, दस्साओं को पूजा करने का अधिकार दिलाना, अंतर्जातिय एवं सामूहिक विवाहों का चलन, मरणभोज प्रथा बंद कराना, कन्या भ्रूण हत्या उन्मूलन अभियान चलाना आदि अनेक कार्य हुए ।
परिषद का मुखपत्र "वीर राष्ट्रीय स्तर पर जैनत्व की रक्षा, सामाजिक संगठन एवं परिषद के उद्देश्यों के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका रखता है और परिषद के सदस्यों को निःशुल्क भेजा जाता है।
परिषद दिगम्बर जैन समाज की प्रतिनिधि राष्ट्रीय संस्था है। वर्ष 2010-11 में परिषद ने देश की राजधानी दिल्ली में नेहरू प्लेस के निकट कालकाजी क्षेत्र पर एक बहुआयामी परिषद भवन का निर्माण कराया है। परिषद भवन में दिगम्बर जैन मंदिर केन्द्रीय एवं दिल्ली प्रदेश के कार्यालय स्थित हैं।
परिषद अपने कार्यक्रमों में सामाजिक संगठन विवाह सूचना केन्द्र, सामाजिक कुरीतियों का निवारण, जैन संस्कृति की रक्षा कार्यकर्ताओं एवं विद्वानों का सम्मान, नैतिक शिक्षण, शिथिलाचार एवं विघटनकारी तत्त्वों पर रोक लगाने आदि जैसे अनेक मुद्दों पर कार्य करती रही है। साथ ही साथ रचनात्मक कार्यों में विवाह योग्य युवक-युवती परिचय सम्मेलन एवं सामूहिक विवाहों का आयोजन, मेधावी छात्रों के लिए स्कारलशिप पुरस्कार, असहाय एवं जरूरतमंदों की सहायता करना, मीडिया एवं न्यायपालिका के माध्यम से अपने अस्तित्व की रक्षा, महिला सशक्तिकरण हेतु सतत् प्रयत्नशील है।
देशभर में परिषद के 37 राष्ट्रीय अधिवेशन एवं 50 से अधिक नैमित्तिक अधिवेशन हुए है, जिनके माध्यम से परिषद ने समाज का मार्गदर्शन किया है। परिषद के संगठन में प्रादेशिक परिषद, महिला परिषद, युवा परिषद की शाखाएं भारत के अनेक प्रांतों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं तथा परिषद का प्रकाशन विभाग नैतिक शिक्षा की पुस्तकों का प्रकाशन निरंतर करता आ रहा है। वर्तमान में परिषद का मूल उद्देश्य है =
सामाजिक हितों की रक्षा एवं जैन धर्म संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना
• समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं आडम्बरों के उन्मूलन हेतु अभियान चलाना ।
अहिंसा, शाकाहार, प्राणीमात्र की रक्षा के लिए कार्य करना।
पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रचार-प्रसार करना इत्यादि ।
समाज का हर बच्चा शिक्षित हो, समाज कुरीतियों एवं आडम्बर रडित बने, श्रमण संस्कृति के उन्नयन में परिषद के कदम बढ़ते रहें। इसी उद्देश्य से हमारा सनी प्रगतिशील महानुभावों से अनुरोध है कि वे तन, मन एवं धन से परिषद के अंगों को पुष्ट करते हुए इसे सक्षम एवं सार्थक बनाएँ ।
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