समाचार

Shri Aadinath Digamber Jain Shiloday Atishaya Tirth Kshetra Samiti

अष्टानिका महापर्व

फाल्गुन मास की अष्टानिका महापर्व की कुछ यादें 

शीलोदय में हुई थी सिद्ध परमेष्ठि की अराधना जिसके हम सभी पूज्य गुरुदेव जी के आशीर्वाद से साक्षी बने थे 

अभी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्ठानिका महापर्व चल रही हैं आज पुरानी याद आ गई इसलिए कुछ तस्वीरे साझा की 

जय जिनेन्द्र।


Shri Aadinath Digamber Jain Shiloday Atishaya Tirth Kshetra Samiti

श्री आदिनाथ जन्मोत्सव

आप सभी को यह जानकर खुशी होगी कि हर साल के भाँति इस साल भी प्रथम तीर्थकर आदिनाथ भगवान का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाने का विचार किया है। जैन दर्शन अति प्राचीन दर्शन है भूतकाल के चौबीस अवतरण एवं वर्तमान काल के चौबीस अवतरण इस बात की प्रमाणिकता सिद्ध करते हैं। लाखों साल पहले अवतरित हुये इस युग के प्रवर्तक जैन दर्शन के प्रथम तीर्थकर भगवान आदिनाथ जिन्होंने समस्त मानव जाति को असि मसि एवं कृषि का ज्ञान प्रदान कर जीने की कला सिखाई। भगवान आदिनाथ के प्रथम पुत्र भरत जिनके शासक काल से इस देश का नाम भारत पड़ा।

इसी क्रम में भगवान आदिनाथ जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से शीलोदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र पर मनाया जा रहा है। जिसमें आप सभी पदाधिकारी / प्रबुद्ध जनों उपस्थिति गरिमामय है।

कार्यक्रम गुरुवार, दिनांक 16 मार्च 2023

• 108 कलशो से अभिषेक व शान्तिधारा- प्रातः 8 बजे

 • श्री 1008 भक्तामर मण्डल विधान- दोपहर 1 बजे से

  • श्रीजी का अभिषेक व श्रीमाल : दोपहर 3:30 बजे

  • वात्सल्य भोज : साय 4:30 बजे से

  • भक्तामर पाठ व आरती : साय 6:30 बजे

ज्ञान का प्रकाश आपके जीवन को सदा अलोकित करता रहे व आदिनाथ प्रभु की कृपा आप पर हमेशा रहे। परिवार सहित आपके सुख, शांति, समृद्धि और निरन्तर यश वृद्धि की मंगलकामनाओं सहित अन्तानन्त शुभकामनाऐं ।


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कवि सम्मेलन

अतिशय तीर्थ क्षेत्र सिलोर में अष्टानिका महापर्व पर आयोजित कार्यक्रम की बेला में आने वाली *4 तारीख शनिवार शाम 7 बजे अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन कवि सम्मेलन* आयोजित किया जा रहा है जिसमे कवि सजल जैन, कवि अनेकांत जैन, कवि अभिषेक जैन एवम अन्य कवि कवितापाठ करेंगे सभी धर्मप्रेमी बंधु अधिक से अधिक संख्या में पधारे एवम धर्म लाभ ले।

किसी भी तरह की जानकारी एवं सहायता के लिए 8000168313 नंबर पर संपर्क करें


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आमंत्रण पत्रिका

       श्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान 

                       एवं

               विश्व शांति महायज्ञ ।


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सादर जय जिनेंद्र

          विशेष सूचना


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शांतिधारा अपडेट

 

     

संत शिरोमणि आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं

निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज की प्रेरणा से नित्य प्रतिदिन श्रावक क्षेत्र पर आकर अभिषेक  शांतिधारा का पुण्य कमाते है।

श्री श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थक्षेत्र शीलोदय सिलोर बूंदी (राज.)                     मास माघपक्ष - कृष्ण

 तिथि - अष्टमी

 दिन-रविवार

प्रथम जलाभिषेक कर्ता

मासिक शान्तिधारा कर्ता-

 

श्रीमान पदम् जैन, गरिमा जैन, ऋषभजैन, संगीता जैन, भव्य जैन, ऋगव जैन, तरु जैन, ऋवा जैन परिवार में सुख शांति व समृद्धि हेतु

श्रीमती नरेंद्र कुमार जी कमलेश जी सन्नी जी जैन पिपलिया बूंदी

श्रीमान नरेंद्र कुमार जी निर्मला जी नवीन जी निशा जी जितेंद्र जी सोनू जी आरव जी आर्या जी मिस्टी जी ऋषि जी कोटिया परिवार बूंदी सुपुत्री बबीता जी की शादी की सालगिरह के अवसर पर

श्रीमती अनीता जी अनिल जी श्रीमती सुषमा जी इंदौर दीपचंद जी के जन्मदिन के उपलक्ष पर

शान्तिधारा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।। 

    शांतिधारा में घर बैठे ही अपने पूरे परिवार का नाम उच्चारित करा सकते हैं जीवन के विशेष दिन पर जैसे जन्मदिवस पर पुण्य स्मृति में शादी की सालगिरह पर शांति धारा करा कर पुण्य लाभ अर्जित करें

संपर्क करें मयंक जी शास्त्री

9649812072

  तीर्थ क्षेत्र

8000168313

 

                सभी के भावो की  

           अनुमोदना

      सभी को क्षेत्र पर पधारने के लिये 

      कोटिसा धन्यवाद


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चलो शीलोदय

चलो शीलोदय चलो शीलोदय

श्री आदिनाथाय नम

 श्री विद्यासागराय नम

  श्री सुधासागराय नम

शीलोदय के इतिहास में प्रथम बार

 अष्टांनिका महापर्व फाल्गुन अष्टमी दिनांक 27/02/23 से 07/03/23 वर्ष की करे भव्य धर्ममय आगवानी।

शीलोदय अतिशय क्षेत्र के इतिहास में प्रथम बार अष्टानिका महापर्व के पावन अवसर पर सह परिवार विधान में बैठ कर के धर्म लाभ लेवे!

 एवं जोड़े सहित मैना सुंदरी श्रीपाल बनकर विधान में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त करें।

जय जिनेन्द्र बंधुओं

जैसा कि आप सभी को विदित है की पूज्य मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज के आशीर्वाद से निर्माणाधीन शीलोदय तीर्थ स्थल पर अष्टनिका महापर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा पूज्य गुरुदेव मुनि श्री सुधासागर जी के परम शिष्य ब्रह्मचारी विनोद भैया जी जबलपुर (हनुमानताल) जिनकी मधुर मई वाणी पूज्य मुनि श्री के शिविर में हमने कई बार सुनी होगी जिनके कंठ में मां सरस्वती विराजमान है जिन्होंने अनेकों सिद्धचक्र विधान आदि का आयोजन कराया है ।

ऐसे आदरणीय विनोद भैया जी के सानिध्य में निर्देशन में यह सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन होगा।

देवपूजा गुरूपास्तिः स्वाध्यायः संयमस्तथा।

दानं चेति गृहस्थानां षट्कर्माणि दिने दिने ।

जैन परम्परा में सिद्धचक्र महामण्डल विधान का विशेष महत्त्व है । इसे अष्टाह्निकी पूजा के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सिद्धचक्र विधान में समस्त पूजाएँ समाहित हो जाती हैं ।

भाव विशुद्धि के साथ इस विधान का अनुष्ठान करने से घर-गृहस्थी के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि गृहस्थ-जनों के जीवन भर में हुए ज्ञात-अज्ञात पापों के प्रायश्चित के लिए एक बार सिद्ध चक्र विधान अवश्य करना चाहिए।

इसे सर्वसिद्धिदायी और मंगलकारी विधान के रूप में जाना जाता है । महासती मैना सुन्दरी द्वारा इस विधान के अनुष्ठान से अपने पति श्रीपाल का कुष्ठ मिटाने की कथा जगत्प्रसिद्ध है। यही कारण है कि आज प्रत्येक श्रावक अपने जीवन में कम से कम एक बार यह विधान करने का मनोभाव रखता है।

सिद्धचक्र विधान का वाञ्छित लाभ लेने के लिए हमें इसका अर्थ और स्वरूप जानना भी अपेक्षित है।

सिद्ध- जो समस्त कर्म कलंक से मुक्त देहातीत परमात्मा हैं। चक्र का अर्थ है- समूह एवं मण्डल का आशय एक प्रकार के वृत्ताकार यन्त्र से है, जिसमें अनेक प्रकार के मन्त्रों एवं अक्षरों की स्थापना की जाती है । मन्त्र शास्त्र के अनुसार इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियाँ प्रकट होजाती हैं। कोशकारों के अनुसार मण्डल शब्द का अर्थ है- दिव्य शक्तियों के आह्वान के लिए तैयार किया गया एक गुप्त रेखाचित्र। विधान शब्द का अर्थ है- साधन या अनुष्ठान यहाँ विधान का अर्थ एक ऐसे अनुष्ठान से है, जो हमारे इष्ट लक्ष्य की पूर्ति का साधन है।

विधान में सम्मिलित होने की व्यवस्था निशुल्क रखी गई है।

जो भी अपने नाम देना चाहते हैं वह शीघ्र संपर्क करें।

नोट ,सभी प्रकार की व्यवस्था शीलोदय तीर्थ क्षेत्र कमेटी की तरफ से की गई है!