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श्री दिगंबर जैन मुमुक्षु महिला आश्रम श्री महावीरजी निरंतर विकास पथ पर....... दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी भारत के सबसे बड़े प्रांत राजस्थान के करौली जिले के हिंडौन सिटी उपखंड में गंभीर नदी के पश्चिमी तट पर चांदन गांव में जैसे नौरंगाबाद भी कहा जाता था स्थित है भगवान महावीर की अतिशय युक्त प्रतिमा के कारण यह स्थान श्री महावीर जी के नाम से सुविख्यात है मुख्य मंदिर से पश्चिम की तरफ थोड़ा आगे चलकर मुख्य सड़क मार्ग पर भारतवर्ष में प्रसिद्ध सर्वांगीण महिला आश्रम की संस्था कृष्णा बाई माता जी द्वारा सन 1950 मैं स्थापित श्री दिगंबर जैन मुमुक्षु महिला आश्रम ट्रस्ट है। 1) श्री महावीर स्वामी जी का विशाल भव्य मंदिर:- मुमुक्षु महिला आश्रम कटले के मध्य में भगवान महावीर स्वामी जी का भव्य मंदिर स्थित है इस विशाल मंदिर पर मुख्य बेदी के ऊपर गगनचुंबी शिखर एवं स्वर्ण कल शो के साथ लहराते जैन धर्म के ध्वज सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान वह सम्यक चारित्र का संदेश देता हुआ प्रतीत होता है मंदिर की सुंदर कलात्मक वेदी में मूलनायक के रूप में भगवान महावीर स्वामी जी की परम दिगंबर मूर्ति विराजित है तथा मुख्य बेदी के दाई और भाई और तीर्थंकर पारसनाथ स्वामी शांतिनाथ स्वामी जी की भव्य मनोरम प्रतिमाएं विराजमान है इन प्रतिमाओं के पीछे बहुत सुंदर गोल्डन कलर से चित्रकारी की हुई है साथ ही मुख्य बेदी के दोनों तरफ त्रिकाल चौबीसी की प्रतिमाएं विराजित हैं यह मंदिर लगभग राजस्थान का सबसे बड़ा हॉल वाला मंदिर है जहां एक साथ करीब 500 श्रद्धालु पूजा विधान कर सकते हैं मंदिर के दोनों और खुले बरामदे में भी मकराना पत्थर का काम है पूरे मंदिर में सोने की कारीगरी से बने भाव तीर्थराज सम्मेद शिखरजी पावापुरी जी चंपापुर गिरनार जी एवं समोसारण की रचना के भाव दर्शनीय हैं मुख्य द्वार के ऊपर बहुत ही आकर्षक एवं स्वर्ण चित्रकारी है मूलनायक प्रतिमा वे मुख्य वेदी में विराजमान प्रतिमाओं की प्रक्षाल एक साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु खड़े रहकर देख सकते हैं मंदिर जी में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं ट्रस्ट की ओर से वर्तमान में बड़ा विधान आयोजन करने के लिए समुचित संसाधनों की व्यवस्था करा दी गई है। 2) श्री आदिनाथ जिनालय:- मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर भव्य जिनालय में श्री आदिनाथ श्री भरत श्री बाहुबली स्वामी जी की बहुत ही कलात्मक खडगासन प्रतिमाएं विराजमान है जिनालय में सोने की कारीगरी से बने भव्य 12 भावनाएं के भाव दर्शनीय है। 3) चरण चिन्ह छतरी:- जिनालय के बाहर थोड़ा आगे चलकर भगवान की चरण चिन्ह छतरी प्रतिष्ठित है जिसके बीच में भगवान महावीर स्वामी जी के उद्भव स्थल पर एक कलात्मक छतरी निर्मित है इसमें भगवान के चरण चिन्ह प्रतिष्ठित है श्रद्धालु चरण छत्री पर जाकर वहां स्थापित भगवान महावीर स्वामी जी के चरणों पर श्रद्धा पूर्वक धोक लगाकर अपने आप को धन्य समझते हैं। 4) सुंदर उद्यान व झूले:- मुख्य मंदिर के एकदम पीछे सुंदर उद्यान बनाया गया है उद्यान में बच्चों के मनोरंजन के लिए कई प्रकार के झूले लगाए गए हैं यात्रियों के बच्चे इन झूलों का आनंद लेते हैं एवं सुंदर घास पर बैठकर यात्रीगण उद्यान की हरियाली का आनंद लेते हैं। 5) भव्य मान स्तंभ:- मंदिर के ठीक सामने संगमरमर पत्थर से निर्मित भव्य 57 फीट ऊंचा गगनचुंबी मान स्तंभ है जिसमें चारों दिशाओं में जिन प्रतिमाएं विराजमान है। 6) चमत्कारिक नवग्रह मंदिर:- मंदिर के दाई और भव्य चमत्कारिक नवग्रह प्रतिमाओं का मंदिर है जिसमें नवग्रह देवों की प्रतिमाएं भव्य कमल सिंहासन पर विराजमान है मंदिर की दीवारों पर सोने के कलर से की हुई पेंटिंग मनमोहक लगती है नवग्रह प्रतिमाओं का अप्रैल 2018 में संध्या के समय अपने आप जल से अभिषेक हुआ इसलिए यह मंदिर चमत्कारिक नवग्रह मंदिर है जहां श्रद्धालुओं के दर्शन मात्र से ही पाप मिट जाते हैं। 7) भव्य जिनवाणी माता मंदिर:- नवग्रह मंदिर के बिल्कुल बराबर में भव्य जिनवाणी माता का मंदिर स्थित है जिसमें कलात्मक सुंदर स्वर्ण चित्रकारी अंकित है जहां मुख्य महिला आश्रम की बाइयों शांत चित् से धर्म ध्यान करती हैं मंदिर जी के शास्त्र भंडार में अनेक भाषाओं में लिखे हुए ग्रंथ है अनेक शास्त्र मौजूद है इस जिनवाणी मंदिर की स्थापना 12 फरवरी 2014 में स्वर्गीय श्रीमती शकुंतला देवी धर्मपत्नी श्री जम्मू कुमार जी रानी वाला जयपुर की पावन स्मृति में पुत्र श्री रविंद्र रानीवाला सीए सुधीर रानीवाला की ओर से करवाया गया है । 8) आर्य का वीरमति माता जी की छतरी:- जिनवाणी मंदिर के पास में मुमुक्षु महिला आश्रम ट्रस्ट एवं मंदिर जी की संस्थापिका आर्यका वीरमति माताजी की छतरी स्थित है छतरी में भव्य माता जी की मनमोहक प्रतिमा स्थापित है। 9) टीले का उद्भव स्थल:- माता जी की छतरी के पास में भगवान महावीर स्वामी जी के टीले का उद्भव स्थल का सुंदर मार्बल एवं ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित भव्य स्थल है जिसमें ग्वाला द्वारा टीले से भगवान महावीर स्वामी जी की मूर्ति का उद्भव दर्शाया गया है।
श्री दिगंबर जैन मुमुक्षु महिला आश्रम श्री महावीरजी निरंतर विकास पथ पर....... दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी भारत के सबसे बड़े प्रांत राजस्थान के करौली जिले के हिंडौन सिटी उपखंड में गंभीर नदी के पश्चिमी तट पर चांदन गांव में जैसे नौरंगाबाद भी कहा जाता था स्थित है भगवान महावीर की अतिशय युक्त प्रतिमा के कारण यह स्थान श्री महावीर जी के नाम से सुविख्यात है मुख्य मंदिर से पश्चिम की तरफ थोड़ा आगे चलकर मुख्य सड़क मार्ग पर भारतवर्ष में प्रसिद्ध सर्वांगीण महिला आश्रम की संस्था कृष्णा बाई माता जी द्वारा सन 1950 मैं स्थापित श्री दिगंबर जैन मुमुक्षु महिला आश्रम ट्रस्ट है। 1) श्री महावीर स्वामी जी का विशाल भव्य मंदिर:- मुमुक्षु महिला आश्रम कटले के मध्य में भगवान महावीर स्वामी जी का भव्य मंदिर स्थित है इस विशाल मंदिर पर मुख्य बेदी के ऊपर गगनचुंबी शिखर एवं स्वर्ण कल शो के साथ लहराते जैन धर्म के ध्वज सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान वह सम्यक चारित्र का संदेश देता हुआ प्रतीत होता है मंदिर की सुंदर कलात्मक वेदी में मूलनायक के रूप में भगवान महावीर स्वामी जी की परम दिगंबर मूर्ति विराजित है तथा मुख्य बेदी के दाई और भाई और तीर्थंकर पारसनाथ स्वामी शांतिनाथ स्वामी जी की भव्य मनोरम प्रतिमाएं विराजमान है इन प्रतिमाओं के पीछे बहुत सुंदर गोल्डन कलर से चित्रकारी की हुई है साथ ही मुख्य बेदी के दोनों तरफ त्रिकाल चौबीसी की प्रतिमाएं विराजित हैं यह मंदिर लगभग राजस्थान का सबसे बड़ा हॉल वाला मंदिर है जहां एक साथ करीब 500 श्रद्धालु पूजा विधान कर सकते हैं मंदिर के दोनों और खुले बरामदे में भी मकराना पत्थर का काम है पूरे मंदिर में सोने की कारीगरी से बने भाव तीर्थराज सम्मेद शिखरजी पावापुरी जी चंपापुर गिरनार जी एवं समोसारण की रचना के भाव दर्शनीय हैं मुख्य द्वार के ऊपर बहुत ही आकर्षक एवं स्वर्ण चित्रकारी है मूलनायक प्रतिमा वे मुख्य वेदी में विराजमान प्रतिमाओं की प्रक्षाल एक साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु खड़े रहकर देख सकते हैं मंदिर जी में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं ट्रस्ट की ओर से वर्तमान में बड़ा विधान आयोजन करने के लिए समुचित संसाधनों की व्यवस्था करा दी गई है। 2) श्री आदिनाथ जिनालय:- मुख्य मंदिर के दाहिनी ओर भव्य जिनालय में श्री आदिनाथ श्री भरत श्री बाहुबली स्वामी जी की बहुत ही कलात्मक खडगासन प्रतिमाएं विराजमान है जिनालय में सोने की कारीगरी से बने भव्य 12 भावनाएं के भाव दर्शनीय है। 3) चरण चिन्ह छतरी:- जिनालय के बाहर थोड़ा आगे चलकर भगवान की चरण चिन्ह छतरी प्रतिष्ठित है जिसके बीच में भगवान महावीर स्वामी जी के उद्भव स्थल पर एक कलात्मक छतरी निर्मित है इसमें भगवान के चरण चिन्ह प्रतिष्ठित है श्रद्धालु चरण छत्री पर जाकर वहां स्थापित भगवान महावीर स्वामी जी के चरणों पर श्रद्धा पूर्वक धोक लगाकर अपने आप को धन्य समझते हैं। 4) सुंदर उद्यान व झूले:- मुख्य मंदिर के एकदम पीछे सुंदर उद्यान बनाया गया है उद्यान में बच्चों के मनोरंजन के लिए कई प्रकार के झूले लगाए गए हैं यात्रियों के बच्चे इन झूलों का आनंद लेते हैं एवं सुंदर घास पर बैठकर यात्रीगण उद्यान की हरियाली का आनंद लेते हैं। 5) भव्य मान स्तंभ:- मंदिर के ठीक सामने संगमरमर पत्थर से निर्मित भव्य 57 फीट ऊंचा गगनचुंबी मान स्तंभ है जिसमें चारों दिशाओं में जिन प्रतिमाएं विराजमान है। 6) चमत्कारिक नवग्रह मंदिर:- मंदिर के दाई और भव्य चमत्कारिक नवग्रह प्रतिमाओं का मंदिर है जिसमें नवग्रह देवों की प्रतिमाएं भव्य कमल सिंहासन पर विराजमान है मंदिर की दीवारों पर सोने के कलर से की हुई पेंटिंग मनमोहक लगती है नवग्रह प्रतिमाओं का अप्रैल 2018 में संध्या के समय अपने आप जल से अभिषेक हुआ इसलिए यह मंदिर चमत्कारिक नवग्रह मंदिर है जहां श्रद्धालुओं के दर्शन मात्र से ही पाप मिट जाते हैं। 7) भव्य जिनवाणी माता मंदिर:- नवग्रह मंदिर के बिल्कुल बराबर में भव्य जिनवाणी माता का मंदिर स्थित है जिसमें कलात्मक सुंदर स्वर्ण चित्रकारी अंकित है जहां मुख्य महिला आश्रम की बाइयों शांत चित् से धर्म ध्यान करती हैं मंदिर जी के शास्त्र भंडार में अनेक भाषाओं में लिखे हुए ग्रंथ है अनेक शास्त्र मौजूद है इस जिनवाणी मंदिर की स्थापना 12 फरवरी 2014 में स्वर्गीय श्रीमती शकुंतला देवी धर्मपत्नी श्री जम्मू कुमार जी रानी वाला जयपुर की पावन स्मृति में पुत्र श्री रविंद्र रानीवाला सीए सुधीर रानीवाला की ओर से करवाया गया है । 8) आर्य का वीरमति माता जी की छतरी:- जिनवाणी मंदिर के पास में मुमुक्षु महिला आश्रम ट्रस्ट एवं मंदिर जी की संस्थापिका आर्यका वीरमति माताजी की छतरी स्थित है छतरी में भव्य माता जी की मनमोहक प्रतिमा स्थापित है। 9) टीले का उद्भव स्थल:- माता जी की छतरी के पास में भगवान महावीर स्वामी जी के टीले का उद्भव स्थल का सुंदर मार्बल एवं ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित भव्य स्थल है जिसमें ग्वाला द्वारा टीले से भगवान महावीर स्वामी जी की मूर्ति का उद्भव दर्शाया गया है।

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