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Prachin Pandulipi
संत शिरोमाणी आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के प्रिय शिष्य बाल ब्रह्मचारी सुनील भैया जी बीसवें तीर्थकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी की चार कल्याणक (गर्भ, जन्म, तप एवं ज्ञान) भूमि श्री राजगृह जी सिद्ध क्षेत्र पर पधारें। जहाँ उन्होंने "आचार्य महावीरकीर्ति दिगम्बर जैन सरस्वती भवन-राजगीर" में स्थापित प्रभु के चरण तथा नव स्थापित श्रुतस्कन्द का दर्शनकर प्राचीन हस्तलिखित पाण्डुलिपि (तिरेसठ सलाका पुरुष) का अवलोकन किया। इसके पश्चात उन्होंने म्यूजियम में रखे शास्त्र तथा उत्खनन से प्राप्त प्रतिमाओं का अवलोकन कर अवश्य सुझाव सरस्वती भवन के पुस्तकालयाध्यक्ष रवि कुमार जैन को दिया।
2 वर्ष पहले
By : आचार्य महावीरकीर्ति दिगंबर जैन सरस्वती भवन