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कुण्डलपुर में गर्भ कल्याणक उत्सव धूमधाम से सम्पन्न

विश्वशांति की भावना से कुण्डलपुर (बिहार) में धूमधाम से सम्पन्न हुआ भगवान महावीर गर्भ कल्याणक उत्सव...

कुण्डलपुर, (नालन्दा) बिहार :-  24 वें तीर्थंकर अहिंसावतार भगवान महावीर की गर्भ एवं जन्मभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त श्री कुण्डलपुर जी तीर्थ क्षेत्र पर आषाढ़ शुक्ल षष्ठी तदनुसार दिनांक – 24-06-2023 दिन शनिवार को उनका गर्भ कल्याणक महोत्सव भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ इस उपलक्ष्य में भगवान महावीर स्वामी के मनोहर प्रतिमा का प्रातः 7 बजे अभिषेक, शांतिधारा, पूजन तथा भ० महावीर पर आधारित भजनों एवं बधाइयों का कार्यक्रम भक्तिमय वातावरण में हुआ।

विदित हो कि आज ही के दिन शुभ लगन में भगवान महावीर स्वामी स्वर्ग से चलकर माता त्रिशला के गर्भ में आये थे । भगवान महावीर के गर्भ में आते ही स्वर्ग के कल्पवासी देवों के विमानों में घंटे की ध्वनी होने लगी थी एवं इन्द्र का आसन कांप उठा यही नही अन्य भी अनेक आश्चर्यजनक घटना घटी जिसे देख देवों को यह ज्ञात हो गया कि तीर्थंकर का गर्भावतरण हो गया और वे सब देवगण प्रभु का गर्भ कल्याणक उत्सव मनाने के लिये इकठ्ठा हुए, देवों ने अपने छत्र – ध्वजा, विमानादिको से आकाश को ढक दिया। भगवान महावीर के जयकारो से आकाश गूंज उठा । देवों के साथ इन्द्र ने भ० महावीर के माता – पिता को सिंघासन पर बैठाकर सोने के कलशों से स्नान कराया तथा दिव्याभुषण वस्त्र आदि पहनाते हुए तीन प्रदक्षिण देकर उन्हें प्रणाम किया तत्पश्चात् वो स्वर्ग को लौट गये ।

इससे पूर्व ऐसी मान्यता है कि भगवान महावीर की माता त्रिशाला ने यहीं (कुण्डलपुर/बिहार) में सोलह स्वप्न देखकर महावीर जैसे महान प्रतापी मोक्षगामी तीर्थंकर को जन्म दिया था । धन कुबेर ने माता त्रिशला के आँगन में लगातार पन्द्रह महीनें तक (गर्भ में आने के छः माह पूर्व से लेकर जन्म होने तक) करोड़ों रत्न बरसाये थे। कुण्डलपुर में भगवान महावीर का एक प्राचीन दिगम्बर जैन मन्दिर है जो बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के अंतर्गत है। जहाँ मूलनायक भगवान महावीर की चार फुट तथा नवप्रतिष्ठित कमल सहित 21 फुट ऊँची मनोज्ञ उतुंग पद्मासन प्रतिमा विराजित है । जिसकी वंदना हेतु प्रतिवर्ष लाखों जैन तीर्थ यात्री यहाँ आते है । कुण्डलपुर का वर्णन दिग० जैन आगम ग्रंथ “धवला, जयधवला, त्रिलोयपण्णति” आदि ग्रंथो में पाया जाता है । भूगर्भ में स्थित भगवान महावीर स्वामी की गर्भ कल्याणक मन्दिर जहाँ प्रवेश करते ही असीम शांति के साथ अलौकिक अनुभूति होती है ।

इस गर्भ कल्याणक महोत्सव पर अपने बधाई सन्देश में प्रबंधक जगदीश जैन ने कहा है कि –“भगवान महावीर स्वामी द्वारा बताये अहिंसा के संदेशों को आज हर मनुष्य को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है क्योंकि अहिंसा मार्ग पर चलकर ही विश्वशांति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा । अहिंसा एवं आपसी भाईचारे के बिना विश्व कल्याण की कल्पना भी नही की जा सकती।

इस कार्यक्रम में श्री जगदीश जैन, श्री राकेश जैन सहित अन्य राज्यों से आये जैन धर्मावलम्बी मौजूद थे ।

रवि कुमार जैन - राजगीर/पटना


एक वर्ष पहले

By : Shri Kundalpur Ji Digambar Jain Teerth Kshetra

कुण्डलपुर में गर्भ कल्याणक उत्सव धूमधाम से सम्पन्न

विश्वशांति की भावना से कुण्डलपुर (बिहार) में धूमधाम से सम्पन्न हुआ भगवान महावीर गर्भ कल्याणक उत्सव...

कुण्डलपुर, (नालन्दा) बिहार :-  24 वें तीर्थंकर अहिंसावतार भगवान महावीर की गर्भ एवं जन्मभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त श्री कुण्डलपुर जी तीर्थ क्षेत्र पर आषाढ़ शुक्ल षष्ठी तदनुसार दिनांक – 24-06-2023 दिन शनिवार को उनका गर्भ कल्याणक महोत्सव भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ इस उपलक्ष्य में भगवान महावीर स्वामी के मनोहर प्रतिमा का प्रातः 7 बजे अभिषेक, शांतिधारा, पूजन तथा भ० महावीर पर आधारित भजनों एवं बधाइयों का कार्यक्रम भक्तिमय वातावरण में हुआ।

विदित हो कि आज ही के दिन शुभ लगन में भगवान महावीर स्वामी स्वर्ग से चलकर माता त्रिशला के गर्भ में आये थे । भगवान महावीर के गर्भ में आते ही स्वर्ग के कल्पवासी देवों के विमानों में घंटे की ध्वनी होने लगी थी एवं इन्द्र का आसन कांप उठा यही नही अन्य भी अनेक आश्चर्यजनक घटना घटी जिसे देख देवों को यह ज्ञात हो गया कि तीर्थंकर का गर्भावतरण हो गया और वे सब देवगण प्रभु का गर्भ कल्याणक उत्सव मनाने के लिये इकठ्ठा हुए, देवों ने अपने छत्र – ध्वजा, विमानादिको से आकाश को ढक दिया। भगवान महावीर के जयकारो से आकाश गूंज उठा । देवों के साथ इन्द्र ने भ० महावीर के माता – पिता को सिंघासन पर बैठाकर सोने के कलशों से स्नान कराया तथा दिव्याभुषण वस्त्र आदि पहनाते हुए तीन प्रदक्षिण देकर उन्हें प्रणाम किया तत्पश्चात् वो स्वर्ग को लौट गये ।

इससे पूर्व ऐसी मान्यता है कि भगवान महावीर की माता त्रिशाला ने यहीं (कुण्डलपुर/बिहार) में सोलह स्वप्न देखकर महावीर जैसे महान प्रतापी मोक्षगामी तीर्थंकर को जन्म दिया था । धन कुबेर ने माता त्रिशला के आँगन में लगातार पन्द्रह महीनें तक (गर्भ में आने के छः माह पूर्व से लेकर जन्म होने तक) करोड़ों रत्न बरसाये थे। कुण्डलपुर में भगवान महावीर का एक प्राचीन दिगम्बर जैन मन्दिर है जो बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के अंतर्गत है। जहाँ मूलनायक भगवान महावीर की चार फुट तथा नवप्रतिष्ठित कमल सहित 21 फुट ऊँची मनोज्ञ उतुंग पद्मासन प्रतिमा विराजित है । जिसकी वंदना हेतु प्रतिवर्ष लाखों जैन तीर्थ यात्री यहाँ आते है । कुण्डलपुर का वर्णन दिग० जैन आगम ग्रंथ “धवला, जयधवला, त्रिलोयपण्णति” आदि ग्रंथो में पाया जाता है । भूगर्भ में स्थित भगवान महावीर स्वामी की गर्भ कल्याणक मन्दिर जहाँ प्रवेश करते ही असीम शांति के साथ अलौकिक अनुभूति होती है ।

इस गर्भ कल्याणक महोत्सव पर अपने बधाई सन्देश में प्रबंधक जगदीश जैन ने कहा है कि –“भगवान महावीर स्वामी द्वारा बताये अहिंसा के संदेशों को आज हर मनुष्य को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है क्योंकि अहिंसा मार्ग पर चलकर ही विश्वशांति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा । अहिंसा एवं आपसी भाईचारे के बिना विश्व कल्याण की कल्पना भी नही की जा सकती।

इस कार्यक्रम में श्री जगदीश जैन, श्री राकेश जैन सहित अन्य राज्यों से आये जैन धर्मावलम्बी मौजूद थे ।

रवि कुमार जैन - राजगीर/पटना


एक वर्ष पहले

By : Shri Kundalpur Ji Digambar Jain Teerth Kshetra