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जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों', ये कहावत यूपी के हापुड़ में रहने वाले जैन समाज के लोगों ने सच साबित कर दी है। 6 युवकों ने एक कमेटी का गठन करके समाज के लोगों से चंदा इकट्ठा कर पक्षियों का प्राइवेट अस्पताल चला रखा है, जिसमें समाज के लोग पक्षियों की सेवा करने के लिए प्रति माह 40 हजार रुपये खर्च कर रहे हैं। सिटी कोतवाली क्षेत्र के कसेरठ बाजार में स्थित, जैन धर्मशाला को पक्षियों के लिए जीवनदायिनी बना दिया गया है और अस्पताल में रोज 25 से 30 घायल पक्षी इलाज के लिए अस्पताल में आते हैं। और अस्पताल में पक्षियों को काफी सेफ्टी से रखा जाता है। इस बढ़ती गर्मी में पक्षियों के लिए कूलर और पंखों की व्यवस्था की गई है ताकि पक्षी इस गर्मी में इलाज के बाद आराम से रह सकें। पक्षियों के लिए उठाए इस सहारनीय कदम के लिए लोग तारीफें कर रहे हैं।

6 लोगों ने मिलकर बनाई कमेटी

आपको बता दें कि सिटी कोतवाली क्षेत्र के कसेरठ बाजार स्थित जैन समाज के लोगों ने जैन धर्मशाला के ग्राउंड फ्लोर पर एक,दो कमरे चिकितस्क तथा उनके स्टाफ के लिए दे दिए हैं जबकि सैकेंड फ्लोर पर पक्षियों का आशियाना बना दिया गया है। जैन समाज के अंकित जैन, अनिल जैन, विकास जैन, शुभम जैन, विकास जैन व तुषार जैन ने करीब 7 साल पहले इसकी शुरुआत की, जिसमें छह लोगों ने एक कमेटी का गठन किया और पक्षियों की सेवा करने का निर्णय लिया।

चंदा जोड़कर बनाया अस्पताल

करीब 7 साल पहले सप्ताह में एक दो कबूतर घायल मिलते थे तो उनका इलाज कराकर आसमान में छोड़ दिया जाता था लेकिन, आज ये एनसीआर का पक्षियों का संरक्षित अस्पताल बन चुका है। जिसमें कमेटी के सदस्यों ने चिकित्सक, कंपाउंडर तथा सफाईकर्मी हैं। इसके अलावा दवा गाजियाबाद से मंगाई जाती है। अब रोजाना अस्पताल में काफी संख्या में पक्षी घायल अवस्था में पहुंच रहे हैं। जिनका इलाज अच्छे से किया जाता है। इलाज होने के बाद उनको आसमान में छोड़ दिया जाता है। 7 साल में करीब कई हजार कबूतर आसमान में छोड़ दिए हैं, जबकि अस्पताल में उल्लू, बगुले, तोते, चिड़िया, चील भी घायलावस्था में पहुंच रहे हैं।

दूर-दूर से आते हैं घायल पक्षी

बच्चों के लिए बना चिड़ियाघर, अगर देखा जाए तो अस्पताल में सुबह जब छत पर कबूतर और अन्य पक्षी दाना खाते हैं तो आसपास में उड़ने वाले पक्षी भी छत पर आते हैं। पिंजरों में सैकड़ों कबूतर और तोते आदि भी घायलावस्था में बंद रहते हैं, जिनको देखने के लिए नगर के बच्चे, बच्चियां, महिलाएं पहुंचते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि अब अस्पताल में आवारा कुत्तों का इलाज भी निशुल्क शुरू कर दिया गया है।

जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों', ये कहावत यूपी के हापुड़ में रहने वाले जैन समाज के लोगों ने सच साबित कर दी है। 6 युवकों ने एक कमेटी का गठन करके समाज के लोगों से चंदा इकट्ठा कर पक्षियों का प्राइवेट अस्पताल चला रखा है, जिसमें समाज के लोग पक्षियों की सेवा करने के लिए प्रति माह 40 हजार रुपये खर्च कर रहे हैं। सिटी कोतवाली क्षेत्र के कसेरठ बाजार में स्थित, जैन धर्मशाला को पक्षियों के लिए जीवनदायिनी बना दिया गया है और अस्पताल में रोज 25 से 30 घायल पक्षी इलाज के लिए अस्पताल में आते हैं। और अस्पताल में पक्षियों को काफी सेफ्टी से रखा जाता है। इस बढ़ती गर्मी में पक्षियों के लिए कूलर और पंखों की व्यवस्था की गई है ताकि पक्षी इस गर्मी में इलाज के बाद आराम से रह सकें। पक्षियों के लिए उठाए इस सहारनीय कदम के लिए लोग तारीफें कर रहे हैं।

6 लोगों ने मिलकर बनाई कमेटी

आपको बता दें कि सिटी कोतवाली क्षेत्र के कसेरठ बाजार स्थित जैन समाज के लोगों ने जैन धर्मशाला के ग्राउंड फ्लोर पर एक,दो कमरे चिकितस्क तथा उनके स्टाफ के लिए दे दिए हैं जबकि सैकेंड फ्लोर पर पक्षियों का आशियाना बना दिया गया है। जैन समाज के अंकित जैन, अनिल जैन, विकास जैन, शुभम जैन, विकास जैन व तुषार जैन ने करीब 7 साल पहले इसकी शुरुआत की, जिसमें छह लोगों ने एक कमेटी का गठन किया और पक्षियों की सेवा करने का निर्णय लिया।

चंदा जोड़कर बनाया अस्पताल

करीब 7 साल पहले सप्ताह में एक दो कबूतर घायल मिलते थे तो उनका इलाज कराकर आसमान में छोड़ दिया जाता था लेकिन, आज ये एनसीआर का पक्षियों का संरक्षित अस्पताल बन चुका है। जिसमें कमेटी के सदस्यों ने चिकित्सक, कंपाउंडर तथा सफाईकर्मी हैं। इसके अलावा दवा गाजियाबाद से मंगाई जाती है। अब रोजाना अस्पताल में काफी संख्या में पक्षी घायल अवस्था में पहुंच रहे हैं। जिनका इलाज अच्छे से किया जाता है। इलाज होने के बाद उनको आसमान में छोड़ दिया जाता है। 7 साल में करीब कई हजार कबूतर आसमान में छोड़ दिए हैं, जबकि अस्पताल में उल्लू, बगुले, तोते, चिड़िया, चील भी घायलावस्था में पहुंच रहे हैं।

दूर-दूर से आते हैं घायल पक्षी

बच्चों के लिए बना चिड़ियाघर, अगर देखा जाए तो अस्पताल में सुबह जब छत पर कबूतर और अन्य पक्षी दाना खाते हैं तो आसपास में उड़ने वाले पक्षी भी छत पर आते हैं। पिंजरों में सैकड़ों कबूतर और तोते आदि भी घायलावस्था में बंद रहते हैं, जिनको देखने के लिए नगर के बच्चे, बच्चियां, महिलाएं पहुंचते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि अब अस्पताल में आवारा कुत्तों का इलाज भी निशुल्क शुरू कर दिया गया है।


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