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ज्योतिष-विज्ञान वह विज्ञान है जो मनुष्य को उसके कार्यक्षेत्र से परिचित कराता है और जिस तरह रोग-निवारण में औषधि का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है। उसी प्रकार इस विज्ञान में जीवन की बाधाओं के प्रति मानव को सचेत करते हुए उसके समुचित निवारण को निर्दिष्ट करने की अद्भुत क्षमता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए तो ज्योतिष विज्ञान एक अमूल्य वरदान है। उसके आधार पर वर्षा, भूकम्प, बाढ़ और तूफान जैसे प्राकृतिक क्रियाकलापों से अवगत होकर संभावित प्रकोपों के प्रति पहले से सावधान हुआ जा सकता है।
ज्योतिष के माध्यम से प्राप्त जानकारी विश्वसनीय सिद्ध होती रही है। शिक्षा के क्षेत्र में भी ज्योतिष विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। यह विज्ञान अपना अध्ययन क्षेत्र चुनने में विद्यार्थियों का पथ प्रदर्शन करने में भी पूरी तरह समर्थ है। उद्योग के क्षेत्र में भी इस विज्ञान के माध्यम से बहुत सहायता प्राप्त की जा सकती है।
इसी प्रकार चिकित्सा और मनोविज्ञान की विधाओं में भी ज्योतिष-शास्त्र बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक जहाँ मात्र बाह्य निरीक्षणों के आधार पर रोग का निर्धारण करते हैं वहीं ज्योतिष विज्ञान जन्मकालीन ग्रह और नक्षत्रों की स्थितियों के आधार पर आंतरिक वास्तविकता का ज्ञान कराने में समर्थ है। राजनीति के क्षेत्र में भी ज्योतिष विज्ञान का विशेष महत्व है।
इस तरह कहा जा सकता है कि आज के युग में भी ज्योतिष विज्ञान मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वरदान सिद्ध होने की असाधारण क्षमता रखता है। ज्योतिष विज्ञान वस्तु का स्वरूप तो सहज ही बता सकता है, लेकिन उसमें किसी तरह का परिवर्तन लाना उसके लिए संभव नहीं है। हाँ, वह किसी आदमी को उसके व्यक्तित्व की कमियों और खूबियों का अहसास कराते हुए तदनुसार अपना विकास करने के लिए उसे अवश्य प्रेरित कर सकता है।
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