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इस लोक में अहिंसा से बड़ा कोई धर्म नही और हिंसा से बड़ा कोई अधर्म नही | अहिंसा ही माता के समान सर्वप्रानियो का हित करने वाली और संसार रुप मरुस्थली में अमृत बहाने वाली नहर है |
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account_balance अनिर्णित Temple