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जैन भगवती दीक्षा महोत्सव

 

 जैन ध्वज लहरा रहा है।

सुदर्शन चक्र घूम रहा है।

सज गया गुरु सुदर्शन दरबार

 सज गया गुरु संघनायक दरबार

श्री गणाधीश जी की छत्रछाया 

  श्री बहुश्रुत जी का सानिध्य

पधार गये ससंघ श्री संघसंचालक जी म०

दीक्षा की देने बधाई

           हम सब जाएंगे 23 जनवरी को

                  दिल्ली ऋषभ विहार मे 

                       गुरु के द्वार।

दिल्ली ऋषभ विहार जैन स्थानक तीर्थ बना हुआ है जहाँ पर गुरु सुदर्शन संघ के 36 संत और 28 साध्वी विराजमान है।

बड़े पुण्य उदय से ही एक साथ इतने संत - साध्वियों के दर्शन का लाभ मिलता है।

श्री गणाधीश जी म० लगभग 84 वर्ष की आयु और लगभग 65 वर्ष की संयम यात्रा के साथ अपना आशीर्वाद बरसा रहे है।

श्री बहुश्रुत जी म० अपने दीक्षा के 50 वे वर्ष मे इतने लम्बे लम्बे विहार करके अपने ज्ञान से सभी को निहाल कर रहे है

श्री संघसंचालक जी म० अपने दीक्षा के 50 वे वर्ष मे अपने बड़े कद और बड़े पद के अहंकार से दूर रहकर , एक माता की तरह पूरे सुदर्शन संघ और सभी समाजों को सकुशल संभाल रहे है और सभी का सकुशल नेतृत्व कर रहे है।

अपने इस संघ मे हर संत की अपनी खास विशेषता है। सभी अनमोल रत्न है।

तभी तो कहा गया है ::--

गुरुदेव सुदर्शन लाल - तुम्हारा संघ सुदर्शन है,

चलता संयम की चाल - तुम्हारा संघ सुदर्शन है,

हमें गर्व है - हमारा संघ सुदर्शन है।।

 

 

 जैन ध्वज लहरा रहा है।

सुदर्शन चक्र घूम रहा है।

सज गया गुरु सुदर्शन दरबार

 सज गया गुरु संघनायक दरबार

श्री गणाधीश जी की छत्रछाया 

  श्री बहुश्रुत जी का सानिध्य

पधार गये ससंघ श्री संघसंचालक जी म०

दीक्षा की देने बधाई

           हम सब जाएंगे 23 जनवरी को

                  दिल्ली ऋषभ विहार मे 

                       गुरु के द्वार।

दिल्ली ऋषभ विहार जैन स्थानक तीर्थ बना हुआ है जहाँ पर गुरु सुदर्शन संघ के 36 संत और 28 साध्वी विराजमान है।

बड़े पुण्य उदय से ही एक साथ इतने संत - साध्वियों के दर्शन का लाभ मिलता है।

श्री गणाधीश जी म० लगभग 84 वर्ष की आयु और लगभग 65 वर्ष की संयम यात्रा के साथ अपना आशीर्वाद बरसा रहे है।

श्री बहुश्रुत जी म० अपने दीक्षा के 50 वे वर्ष मे इतने लम्बे लम्बे विहार करके अपने ज्ञान से सभी को निहाल कर रहे है

श्री संघसंचालक जी म० अपने दीक्षा के 50 वे वर्ष मे अपने बड़े कद और बड़े पद के अहंकार से दूर रहकर , एक माता की तरह पूरे सुदर्शन संघ और सभी समाजों को सकुशल संभाल रहे है और सभी का सकुशल नेतृत्व कर रहे है।

अपने इस संघ मे हर संत की अपनी खास विशेषता है। सभी अनमोल रत्न है।

तभी तो कहा गया है ::--

गुरुदेव सुदर्शन लाल - तुम्हारा संघ सुदर्शन है,

चलता संयम की चाल - तुम्हारा संघ सुदर्शन है,

हमें गर्व है - हमारा संघ सुदर्शन है।।

 

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