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The construction of Saraswati Bhavan was completed in the year 1972 under the blessings of Param Pujya Acharya Shri Vimal Sagar Ji Maharaj. A large hall below houses the Padmasan statue of Acharya Mahavir Kirti ji and is used for the auditorium. There is a huge library in the upstairs rooms in which thousands of handwritten and published books related to Jainism are stored. Jain paintings and handwritten manuscripts, exhibitions of Jain scriptures are kept and read in a systematic manner here. In addition, the exhibition of handmade paintings related to the biography of Lord Mahavira on the Vipulachal mountain is visited and appreciated by lakhs of Jain non-Jain travelers. Many years ago, a huge amount for the operation of Shri Mahavir Kirti Saraswati Bhavan was handed over to some enlightened persons to send it to the committee in Shikhar ji with the inspiration of Param Pujya Acharya Shri Bharat Sagar ji, but it is a pity that till now that amount was given to the committee. Haven't found Some ancient fragmentary statues and other materials which were found from the excavation. It is also stored here. The statue of Vagdevi (Saraswati Devi) is also installed in the upper part.

सरस्वती भवन का निर्माण परम पूज्य आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में सन् 1972 को सम्पन्न हुआ था । नीचे एक बड़े हॉल में आचार्य महावीर कीर्ति जी की पद्मासन प्रतिमा विराजित है तथा सभागार के लिए इसे उपयोग में लाया जाता है । ऊपर के कमरों में एक विशाल पुस्तकालय है जिसमें जैन धर्म सम्बंधित हज़ारों हस्तलिखित एवं प्रकाशित पुस्तकें संग्रहित है । जैन चित्रकला एवं हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ, जैन शास्त्र की प्रदर्शनी यहाँ व्यस्थित तरीके से रखी तथा पढ़ी जाती है । इसके अतिरिक्त विपुलाचल पर्वत पर भगवान महावीर के जीवनी से संबंधित हस्तनिर्मित चित्रों कि प्रदर्शनी लाखों जैन अजैन यात्रियों द्वारा देखी और सराही जाती हैं । कई वर्ष पूर्व श्री महावीर कीर्ति सरस्वती भवन के संचालन के लिये एक बड़ी रकम परम पूज्य आचार्य श्री भरत सागर जी के प्रेरणा से शिखर जी में कमिटी को भेजने के लिये कुछ प्रबुद्ध व्यक्तियों को सौंपी गई थी पर खेद है कि अभी तक कमिटी को वह रकम नही मिली हैं । कुछ प्राचीन खण्डित प्रतिमाएँ एवं अन्य पदार्थ जो उत्खनन से प्राप्त हुये थे । यहाँ भी संग्रहित है । ऊपरी हिस्से में वाग्देवी (सरस्वती देवी) की प्रतिमा भी स्थापित है ।


fmd_good Digamber Jain Temple 'Sarswati Bhawan', Rajgir, Rajgir, Bihar, 803116

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